भारत में मूल्य आधारित शिक्षा का केंद्र बनेगा बीएचयू, मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र ने नोडल सेंटर बनाने के लिए तैयार किया प्रस्ताव
बीएचयू को देश में मूल्यों की शिक्षा का नोडल केंद्र बनाने की तैयारी है। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की मानवीय दृष्टि व भावना पर यूजीसी ने 21 पेज का विजन डाक्यूमेंट मूल्य प्रवाह तैयार किया है। देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया जाना है।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Mon, 25 Jan 2021 11:07 AM (IST)
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) को देश में मूल्यों की शिक्षा का नोडल केंद्र बनाने की तैयारी है। बीएचयू का मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों मेंं मानवीय मूल्य और नैतिकता का पाठ्यक्रम लागू करवाने के लिए नियामक व संरक्षक के रूप में कार्य करेगा। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की मानवीय दृष्टि व भावना के आधार पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 21 पेज का विजन डाक्यूमेंट मूल्य प्रवाह तैयार किया है। इसे देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया जाना है।
छह जनवरी को मिली थी मौखिक सहमति : यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने 2008-2011 तक बीएचयू के कुलपति रहते हुए विश्वविद्यालय में औपचारिक पाठ्यक्रमों में भी मूल्य नीति की शुरुआत की थी। इसका आधार महामना की ऐसे विश्वविद्यालय की संकल्पना थी, जो न सिर्फ शैक्षिक विकास करे, बल्कि चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण में भी भूमिका निभाए। छह जनवरी को महामना की जयंती पर आयोजित वेबिनार में मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र के समन्वयक प्रो. आशाराम त्रिपाठी ने बीएचयू को नोडल केंद्र बनाने का प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर यूजीसी अध्यक्ष ने मौखिक सहमति दी थी। मूल्य अनुशीलन केंद्र ने इस संबंध में एकेडमिक काउंसिल को प्रस्ताव भेजा है, जिस पर सहमति मिलते ही यूजीसी को भेजा जाएगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि बीएचयू नोडल केंद्र के रूप में देशभर के विश्वविद्यालयों व संस्थानों को नैतिकता, सत्यनिष्ठा और व्यवहारिकता की सीख देगा और उनके नियामक व संरक्षक के रूप में कार्य करेगा।
दस वर्षों से चल रहा है डिप्लोमा कोर्स : मूल्य अनुशीलन केंद्र में दस वर्षों से एथिक्स एंड ह्यूमन वैल्यू (नैतिकता और मानवीय मूल्य) पर दो वर्षीय पीजी डिप्लोमा कोर्स चला रहा है। इसके दोनों बैचों में करीब 100 छात्र हैं। बीएचयू में यह पृथक कोर्स के तौर पर संचालित है। अन्य विश्वविद्यालय व संस्थान खुद तय करेंगे कि इसे स्वतंत्र कोर्स के तौर पर चलाना है या किसी विभाग के साथ जोड़कर।
रोजगार में भी मददगार होगा यह कोर्स : अभी तक यह बीएचयू के छात्रों के लिए अनौपचारिक कोर्स के तौर पर संचालित था। लेकिन अब यहां बाहर के छात्र भी अध्ययन व शोध कर सकेंगे। पीएचडी कोर्स पहली बार शुरू किया जाएगा। यह कोर्स करने के बाद मनोविज्ञान और मैनेजमेंट के छात्रों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। वहीं, इंटरव्यू में इस कोर्स के कारण छात्र को विशेष वरीयता मिलने की संभावना भी रहेगी।
छात्र के चरित्र में समाहित हैैं महान नगर के गुण : यूजीसी ने अपने विजन डाक्यूमेंट में महामना के उन विचारों का उल्लेख किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यह विश्वविद्यालय न केवल डाक्टर, वैज्ञानिक, इंजीनियर, व्यापारी व शास्त्री तैयार करेगा, बल्कि उत्तम चरित्र वाले व्यक्तियों का भी निर्माण करेगा। विश्व जगत में छात्र का आचरण दर्शाएगा कि उसके जीवन में किसी महान विश्वविद्यालय और नगर की विशिष्टता के गुण समाहित हैं।
महामना के मूल्यों को शिक्षा का हिस्सा बनाया जाएसमाज में एक-दूसरे के प्रति बढ़ रही ईष्या, बैर व दूरियों ने अवसाद, आत्महत्या और कई असाध्य रोगों को जन्म दिया है। प्रशासनिक व कारोबारी वर्ग भी भ्रष्टाचार, लाल फीताशाही व हीन भावना में लिप्त हैं। यदि महामना के मूल्यों को शिक्षा का हिस्सा बना दिया जाए, तो काफी हद तक इन समस्याओं पर काबू पाने में मदद मिल सकती है।
-प्रो. आशाराम त्रिपाठी, समन्वयक, मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र, बीएचयू।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।