संस्कृत को कंप्यूटर की भाषा बनाने के लिए बीएचयू तैयार करेगा भाषाविद, जुलाई-अगस्त से होगी पढ़ाई
हैदराबाद सहित देश के अनेक आइआइटी संस्थानों की मांग पर भाषा विज्ञान के जानकारों का समूह तैयार करने के लिए बीएचयू ने एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम पाणिनी व्याकरण एवं संगणक भाषा विज्ञान डिप्लोमा आरंभ किया है। इसमें कोई भी स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थी प्रवेश पा सकता है।
वाराणसी, शैलेश अस्थाना : काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने अन्य आइआइटी संस्थानों के सहयोग से संस्कृत को व्यवहार रूप में संगणक (कंप्यूटर) की भाषा बनाने के लिए पहल की है। देश के कुछ आइआइटी संस्थानों में इसके लिए शुरू हुए कार्यों में सहयोग के लिए बीएचयू संस्कृत के भाषाविद तैयार करेगा। इसके लिए बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के व्याकरण विभाग में संगणकीय संस्कृत भाषा विज्ञान की पढ़ाई शुरू होगी। एक वर्ष का यह डिप्लोमा पाठ्यक्रम भविष्य में संस्कृत को कंप्यूटर की भाषा के रूप में विकसित करने का माध्यम बनेगा।
पाणिनी व्याकरण के सरल रूप से बनेंगे सूक्ष्मतम सिद्धांतों में निपुण
व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि इस पाठ्यक्रम में पाणिनी व्याकरण में निहित ध्वनि व अक्षर विज्ञान से अक्षरों की उत्पत्ति की जानकारी देकर भाषा विज्ञान के सूक्ष्मतम सिद्धांतों में विद्यार्थी को निपुण बनाया जाएगा।
हैदराबाद समेत कई प्रौद्योगिकी संस्थानों में चल रहा काम
प्रो. द्विवेदी बताते हैं कि हैदराबाद सहित देश के अनेक आइआइटी संस्थानों की मांग पर भाषा विज्ञान के जानकारों का समूह तैयार करने के लिए बीएचयू ने एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम 'पाणिनी व्याकरण एवं संगणक भाषा विज्ञान डिप्लोमा आरंभ किया है। इसका पाठ्यक्रम प्रसिद्ध भाषाविद प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी, प्रो. ललित कुमार त्रिपाठी, प्रो. गिरीश झा, प्रो. सरोजा आप्टे ने तैयार किया है।
स्नातक उत्तीर्ण कोई भी अभ्यर्थी पा सकता है प्रवेश
प्रो. द्विवेदी बताते हैं कि इसमें कोई भी स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थी प्रवेश पा सकता है। आफलाइन व आनलाइन दोनों मोड में कक्षा संचालन व परीक्षा की व्यवस्था है, प्रतिदिन सायंकाल पांच से छह बजे तक ई-क्लास में शामिल हुआ जा सकता है।
व्याकरण के सहज ज्ञान के लिए एक अन्य पाठ्यक्रम भी
प्रो. द्विवेदी बताते हैं कि व्याकरण के सहज ज्ञान के लिए एक अन्य 'अनुप्रयुक्त व्याकरणीय प्रमाणपत्र पाठ्यक्रमÓ शुरू किया जा रहा है। इसमें विद्यार्थी को पाणिनी व्याकरण को अति लघु और सूक्ष्म रूप में ज्ञान दिया जाएगा। आगामी सत्र में जुलाई-अगस्त माह से दोनों पाठ्यक्रम में पठन-पाठन शुरू हो जाएगा। इन दोनों पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाला अभ्यर्थी व्याकरण के माध्यम से संस्कृत में ज्ञान-बोध करने, वांग्मय विश्लेषण एवं संभाषण में सक्षम होगा। एनटीए के जरिए होने वाली सीयूईटी में शामिल होकर प्रवेश पाया जा सकता है।