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सद्गुरु के मिट्टी बचाओ अभियान को लेकर बाइकर्स पहुंचे वाराणसी, राजनीतिक दलों और किसानों को करेंगे जागरूक

मिट्टी मर रही है। मिट्टी में जैव कार्बन की मात्रा घटती जा रही है। अपनी मिट्टी को बचाने व इसमें कार्बनिक तत्वों की मात्रा को बढ़ाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है वर्ना रेत में बदलती मिट्टी बांझ हो जाएगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Sun, 03 Jul 2022 04:02 PM (IST)
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सद्गुरु जग्गी महाराज के मिट्टी बचाओ अभियान को लेकर बाइकर्स पहुंचे वाराणसी
जागरण संवाददाता, वाराणसी : मिट्टी मर रही है। मिट्टी में जैव कार्बन की मात्रा घटती जा रही है। अपनी मिट्टी को बचाने व इसमें कार्बनिक तत्वों की मात्रा को बढ़ाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है, वर्ना रेत में बदलती मिट्टी बांझ हो जाएगी। वर्तमान से आरंभ भविष्य की इसी चिंता को लेकर सद्गुरु जग्गी महाराज ने ‘मिट्टी बचाओ अभियान’ पूरे विश्व में आरंभ किया है।

रविवार को उनके इसी अभियान को लेकर बाइक राइडर्स काशी पहुंचे। कोयंबटूर से आए मनदीप के नेतृत्व में लगभग डेढ़ दर्जन बाइक राइडर्स लोगों को संदेश देने के लिए आइआइटी बीएचयू के लिंबडी छात्रावास से पड़ोसी जनपदों को प्रस्थान किए। ये लोग प्रयागराज, प्रतापगढ़, जौनपुर होते हुए पुन: वापस वाराणसी आएंगे।

मनदीप ने बताया इस यात्रा के दौरान हम लोग लगभग 350 किमी की दूरी तय करेंगे। हर छोटे-बड़े स्टेशनों पर रुकते हुए लोगों के बीच जाएंगे और उन्हें मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देकर जागरूक करेंगे। बाइक राइडर्स के इस दल में अनेक आइआइटी छात्र, शिक्षक और पर्यावरणविद सम्मिलित हैं। इनमें प्रमुख रूप से संजीव, कौशिक, अंशुमान, लक्ष्य, प्रिया, शशांक, समीर और टोनी जायसवाल आदि सम्मिलित हैं।

तीन प्रतिशत तक कार्बनिक तत्वों को बढ़ाना लक्ष्य

पहले देश की मिट्टी में लगभग छह प्रतिशत कार्बनिक यौगिक थे, जो अब घटकर 0.5 प्रतिशत पर आ गए हैं। इन्हें पुन: बढ़ाकर कम से कम तीन प्रतिशत तक लाना इस अभियान का लक्ष्य है। काेयंबटूर से आए अभियान का नेतृत्व कर रहे मनदीप ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि यदि मिट्टी में कार्बनिक तत्वों की मात्रा तीन प्रतिशत से कम हुई तो वह धीरे-धीरे रेत में बदल जाएगी। हमें अपनी मिट्टी को बचाना है।

खुद सद्गुरु कर चुके हैं 100 दिनों में 30 हजार किमी यात्रा

मिट्टी के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित सद्गगुरु इस वैश्विक समस्या से लोगों को जागरूक करने के लिए स्वयं एकल बाइक राइडर्स के रूप में मोटर साइकिल से 100 दिनों में 30 हजार किमी की यात्रा कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने पूरे यूरोप, मध्य पूर्व एशिया और भारत के 10 राज्यों की यात्रा की और 74 से अधिक देशों की सरकारों का समर्थन प्राप्त किया है।

मार्च 2022 में आरंभ हुआ था अभियान

अभियान की स्थानीय संयोजिका आइआइटी बीएचयू की भौतिकी विभाग की शोध छात्रा मोनिया दीक्षित बताती हैं कि सद्गुरु ने इस अभियान का शुभारंभ मार्च 2022 में किया था। इसके बाद उन्होंने 24 जून को कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में दो सप्ताह के लंबे 'राइड फार साइल' अभियान को हरी झंडी दिखाई। विभिन्न राज्यों के राइडर्स ने 112 फीट आदियोगी के सामने इस यात्रा के घरेलू चरण की शुरुआत की है। ये स्वयंसेवक और पेशेवर बाइकर आंदोलन के संदेश को भारत के विभिन्न शहरों में ले जा रहे हैं।

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