BHU में 'भूत विद्या' की भी होगी पढ़ाई, छह माह के कोर्स के बाद छात्रों को मिलेगा प्रमाण-पत्र
सर्व विद्या की राजधानी काशी हिंदू विवि में अब भूत विद्या की भी पढ़ाई होगी बाकायदा छह माह के अध्ययन के बाद छात्रों को सर्टिफिकेट
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Wed, 25 Dec 2019 02:21 PM (IST)
वाराणसी, जेएनएन। भूत प्रेतों की दुनिया से दहशत विज्ञान युग में भी जारी है। लोगों के तमाम दावे भी भूतों को लेकर समय समय पर होते रहे हैं। आत्मा परमात्मा और प्रेत योनि जैसी मान्यताओं के बीच सर्व विद्या की राजधानी काशी हिंदू विवि में अब भूत विद्या की भी पढ़ाई होगी। बाकायदा छह माह के अध्ययन के बाद छात्रों को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। इस कोर्स का मकसद यह कि गांव-देहात में फैले अंधविश्वास को दूर करना है। इसे गृह चिकित्सा के नाम से भी जाना जाता है। ये सारी कवायद चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद संकाय में किया जाएगा। भूत विद्या पर शोध कर चुके प्रो. वीके द्विवेदी के नेतृत्व में इसका सिलेबस भी बना लिया गया है। जनवरी 2020 से इसकी पढ़ाई भी विधिवत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में शुरू कर दी जाएगी।
साइकोसिमेट्रिक अर्थात मानसिक बीमारी का इलाज वैज्ञानिक ढंग से हो और लोगों के अंदर अंधविश्वास को दूर करने के लिए इस विधा का प्रयोग करना बताया जाएगा। इसके अलावा असफलताओं से कैसे लड़ें और विजय पाएं इसके बारे में भी इस कोर्स के अंतर्गत पढ़ाया जाएगा। यहां से सर्टिफिकेट प्राप्त छात्र समाज में प्रैक्टिस भी करेंगे। वह भूत, ग्रह, मानस के बारे में फैली भ्रांतियों को आम नागरिकों के मन से दूर करेंगे। इसके अलावा कोलाइटिस, अवसाद के अलावा किसी भी प्रकार की मानसिक चोट को ठीक करेंगे। यहीं नहीं जरूरत पडऩे पर मरीज को संबंधित औषधि भी देंगे और उपचार भी किया जाएगा। यदि मरीज भूत-प्रेत बाधा से ग्रसित है तो प्राचीन चिकित्सा पद्धति को विज्ञान से जोड़ते हुए इलाज कर उसे स्वस्थ करेंगे। इसके बदले सर्टिफिकेटधारी प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले वाजिब फीस भी लेंगे।
पाठ्यक्रम की रूपरेखाभूत विद्या की अवधारणा और भूत विद्या उपचारात्मक पहलू नामक दो पेपर इस कोर्स के अंतर्गत संचालित होंगे। भूत विद्या की अवधारणा में परिभाषा, अनेक अर्थ, ऐतिहासिक महत्व, जनता में सामान्य समझ और आयुर्वेद में भूत विद्या की भूमिका के पाठ पढ़ाए जाएंगे। भूत विद्या उपचारात्मक पहलू के अंतर्गत चिकित्सा के प्रकार, ग्रह की प्रकृति, उपसर्ग की कायचिकित्सा पाठ पढ़ाए जाएंगे। इस बारे में सिद्धांत दर्शन विभाग, आयुर्वेद संकाय, बीएचयू के प्रो. सीएस पांडेय ने कहा कि समाज में फैली भ्रांतियां दूर होंगी।
भूत यदि है तो उसकी शांति के लिए मणि मंगल विधान विधि से चिकित्सा की जा सकेगी। उचित कारण का पहचान कर उचित चिकित्सा उपलब्ध कराना ही भूत विद्या का मूल उद्देश्य है। साथ ही समाज में भूत-प्रेत के नाम पर गरीबों को लूटने वालों में कमी आएगी। ऐसे में सर्वविद्या की राजधानी कही जाने वाली बीएचयू में एक और विषय ऐसा जुड़ने जा रहा है जिसकी वजह से समाज में भूत प्रेत और बाधा का भी निवारण वैज्ञानिक तरीके से हो सकेगा।
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