रमना-सिंगरौली रेलमार्ग के दोहरीकरण में चुनौती, समानांतर ट्रैक को खड़ा करना पड़ रहा मिट्टी का पहाड़
देश के सबसे ज्यादा व्यस्त औद्योगिक मालवाहक रेल मार्गों में शुमार धनबाद रेलमंडल के रमना-चोपन-सिंगरौली मार्ग के दोहरीकरण का कार्य पिछले कई वर्षों से चल रहा है।
सोनभद्र, जेएनएन। देश के सबसे ज्यादा व्यस्त औद्योगिक मालवाहक रेल मार्गों में शुमार धनबाद रेलमंडल के रमना-चोपन-सिंगरौली मार्ग के दोहरीकरण का कार्य पिछले कई वर्षों से चल रहा है। भौगोलिक रूप से कठिन इस हिस्से पर समानांतर नए ट्रैक का निर्माण काफी चुनौती भरा साबित हो रहा है। विंध्य पर्वत माला के बीच से गुजरने वाले इस मार्ग पर फिलहाल समतलीकरण के साथ छोटे पुलों का निर्माण जारी है। अत्यंत दुर्गमता के कारण कठिन हुए इस कार्य में मानसून से होने वाली दिक्क्तों ने भी मुसीबतें बढ़ाई है। पिछले महीने दोहरीकरण के तहत ही कडिय़ा में बन रहे एक पुलिया निर्माण के दौरान हुए हादसे में एक मजदूर की मौत हो गयी थी। रमना-सिंगरौली के बीच 160 किलोमीटर लंबी इस लाइन के दोहरीकरण पर 2675.64 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके 2021 तक पूरा होने की संभावना है। धनबाद डिवीजन की यह लाइन झारखंड में गढ़वा, मध्य प्रदेश में सिंगरौली तथा उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिलों से गुजरती है। अभी तक चोपन से बिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन के बीच दोहरीकरण का कार्य पूरा हो चुका है। बीते मार्च से इस नए ट्रैक पर ट्रेनों का आवागमन शुरू हो गया है।
समानांतर ट्रैक बनाना बना चुनौती
रमना से बाया चोपन होते हुए सिंगरौली जाने वाले इस मार्ग का पूरा हिस्सा पहाडिय़ों से होकर गुजरता है। पहले बने ज्यादातर मार्ग पहाड़ों की कटिंग करके बनाये गए थे। लेकिन अब इसी ट्रैक के समानांतर ट्रैक बनाने के लिए बड़े हिस्से में 60 से 100 फीट ऊंचा मिटटी का पहाड़ खड़ा करना पड़ रहा है। इतने भारी पैमाने पर मिटटी लाने में भी काफी समस्या आ रही है। इस ट्रैक के आसपास ज्यादातर पथरीली भूमि होने के कारण अपेक्षित मिटटी नहीं मिल पा रही है। हालांकि इसके बावजूद 60 फीसद से ज्यादा हिस्से में समानांतर ट्रैक के लिए आधार तैयार किया जा चुका है। धनबाद मंडल के डीआरएम एके मिश्रा ने पूर्व में बताया था कि 2021 तक दोहरीकरण का कार्य पूरा होगा। हालांकि वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह संभव नहीं लग रहा है। इस कार्य को पहले वर्ष 2019 में पूरा होना था।
100 किमी की रफ्तार से चलेगी ट्रेन
गढ़वा से सिंगरौली रेलखंड के बीच चल रहे दोहरीकरण को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अभी तक ङ्क्षसगल ट्रैक होने के कारण इस रूट पर ट्रेनों का संचालन काफी सुस्त होने के साथ व्यस्तता भी काफी ज्यादा है। जबकि यह ट्रैक देश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले धनबाद मंडल का हिस्सा है। अभी इस ङ्क्षसगिल लाइन पर 105 फीसद यातायात घनत्व है। इससे ट्रेनों में विलंब होता है। डबल ट्रैक होने पर ट्रेनों की संख्या बढऩे के साथ गति में भी इजाफा होगा। दोहरीकरण की प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस मार्ग पर 100 किमी प्रति घंटा की गति से ट्रेनें दौड़ सकेंगी। इस मार्ग पर विद्युतीकरण के साथ सिग्नल के आधुनिकीकरण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। छह फेज में इस रेलखंड के आधुनिकीकरण का कार्य बांटा गया है।