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CM Yogi Adityanath ने बलिया की काली गाजर के हलवा का किया जिक्र, आप भी जानिए खासियत

बलिया की काली गाजर से तैयार होने वाले हलवे की चर्चा बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद में अभिभाषण के दौरान की। उन्होंने कांट्रैक्ट फार्मिंग से जिले के किसान कैसे उन्नति कर रहे हैं यह आईना भी विपक्ष को दिखाया।

By Abhishek sharmaEdited By: Updated: Fri, 26 Feb 2021 04:20 PM (IST)
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हलवे की चर्चा बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद में अभिभाषण के दौरान की।
बलिया, जेएनएन। जिले की माटी खेती के लिए किसी सोने से कम नहीं है। दोआबा की माटी में खेती किसानी का जायका फल फूल रहा है। ऐसे में यहां के कृषि उत्‍पादों का बना जायका भी जिसकी जुबान में चढ़ जाता है वह लंबे समय तक बना रहता है। ताजा कड़ी मेंं नाम जुड़ा है मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का जिन्‍होंने यहां के काले हलवे की चर्चा बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद में अभिभाषण के दौरान करके स्‍थानीय जायके को फेमस कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि कांट्रैक्ट फार्मिंग से जिले के किसान कैसे उन्नति कर रहे हैं। कहा कि इस तरकीब को आत्मसात कर हर कोई अपनी जिंदगी बदल सकता है। दरअसल बलिया जिले में काली गाजर का सेहत से भरा यह हलवा कीमती ही नहीं बल्कि अनोखा भी है। 

बता दें कि सहतवार कस्बे में रामजतन की दुकान है। यहां सौ साल से काली गाजर का हलवा बनाया जा रहा है। वह काफी प्रसिद्ध है। दूर-दूर से इसका स्वाद लेने लोग आते हैं। रामरतन दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके पौत्र मोती राम सारा कामकाज अपने हाथों में ले चुके हैं। बकौल मोतीराम, वे अपने पुरखों की परंपरा को आगे बढ़ाने में लगे हैं। इसके लिये वह किसानों से मुंहमांगे रेट पर गाजर खरीदते हैं और हलवा बनाने में पूरी शुद्धता अपनाई जाती है। अब इसकी खूब डिमांड है, गैर प्रांतों से भी लोग हलवा खाने आते हैं। सीएम योगी द्वारा उनके गाजर की तारीफ किये जाने से वह गदगद हो चुके हैं। उनका कहना है कि वह और किसानों को अपने साथ जोड़ रहे हैं।

नवंबर से मार्च अंत तक होता है कारोबार

कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, कानपुर समेत कई जगहों से लोग आते हैं। पांचवीं पीढ़ी ने इसे कायदे से संभाल रखा है। उनके बनाए हुए इस हलवे की प्रति किलो 400 रुपये की दर से बिक्री होती है। यहां रोज 30 किलो से अधिक गाजर की खपत होती है, हलवा बनाने में लगभग 18 घंटे का वक्त लगता है। 80 लीटर तक दूध और 20 किलो देशी घी औैर 10 किलो खोआ के साथ इसे दो कारीगर लगातार बनाते हैं। यह गाजर सिंगही, बीना, भोपतपुर, कोलवला व नयना सहित दर्जनों गांव के किसान से खरीदते हैं।

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