Gyanvapi Masjid Case : कार्बन डेटिंग की मांग को अदालत ने किया खारिज, कहा- आहत हो सकती हैं धार्मिक भावनाएं
Gyanvapi Masjid Case Varanasi ज्ञानवापी मस्जिद के एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या वैज्ञानिक परीक्षण पर वाराणसी की अदालत का आज फैसला आ गया। इस मामले में अदालत ने हिंदू पक्ष की कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया।
By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Fri, 14 Oct 2022 10:55 PM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। Decision on carbon dating in Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच (कार्बन डेटिंग और पेनिट्रेटिंग रडार सर्वे) की मंदिर पक्ष की मांग को शुक्रवार को जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने निरस्त कर दिया। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के 17 मई को ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को सुरक्षित रखने के निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि जिस शिवलिंग का दावा हिंदू पक्ष कर रहा है उसको कार्बन डेटिंग से नुकसान पहुंच सकता है। इससे धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंच सकती है।
जिला जज ने पेनिट्रेटिंग रडार सर्वे से भी इन्कार किया और कहा कि भारतीय पुरातात्विक सर्वे (एएसआइ) को निर्देश दिया जाना उचित नहीं होगा कि वह शिवलिंग की आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करे। जज ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि इस वाद में अंतर्निहित प्रश्नों का न्यायपूर्ण समाधान भी इस प्रकार की प्रक्रिया से संभव प्रतीत नहीं होता।
मंदिर पक्ष की वादी मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी, सीता साहू (वादी संख्या दो से पांच) की ओर से दाखिल प्रार्थनापत्र में जिला जज की अदालत से मांग की गई थी कि 16 मई को ज्ञानवापी परिसर में हुई एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग व पेनिट्रेटिंग रडार विधि से जांच कराकर शिवलिंग की संरचना, प्रकृति और आयु का निर्धारण किया जाए। बाद में मंदिर पक्ष की एक अन्य वादी राखी सिंह ने कार्बन डेटिंग कराए जाने का विरोध किया था। मस्जिद पक्ष के वकीलों ने भी कार्बन डेटिंग व अन्य वैज्ञानिक विधि से किसी भी तरह की जांच कराने का विरोध किया था।
मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी, सीता साहू के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि उनके प्रार्थनापत्र को अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का हवाला देते हुए खारिज कर दिया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई के अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि शृंगार गौरी से जुड़े किसी भी प्रकरण या प्रार्थनापत्र पर निचली अदालत सुनवाई करेगी इसलिए हमारे प्रार्थनापत्र को निरस्त करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। वैज्ञानिक विधि से जांच कराने की मांग को लेकर वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
बोले अधिवक्ता : अदालत ने हमारी आपत्ति को गंभीरता से लिया और इसके बाद फैसला दिया है। हमारी मांग थी कि जिसे मंदिर पक्ष शिवलिंग बता रहा है उसे सुप्रीम कोर्ट ने सील करके सुरक्षित करने का आदेश दिया है। कार्बन डेटिंग समेत अन्य वैज्ञानिक तकनीक से जांच होती तो जिसे शिवलिंग कहा जा रहा है उससे छेड़छाड़ होती। यह सुप्रीम को कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होता।
-अखलाक अहमद(अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद पक्ष के वकील)
शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करने की मांग का हमने विरोध किया था। हिंदू धर्म के अनुसार भगवान की मूर्ति को हम जीवित मानते हैं। ऐसे में उनकी जांच कैसे कर सकते हैं। किसी भी वैज्ञानिक विधि से शिवलिंग की जांच की जाती को उसे नुकसान पहुंचने की आशंका रहती। इससे जनभावना आहत होती। इसलिए मेरा मानना है कि अदालत ने सही फैसला दिया।
-अनुपम द्विवेदी, मंदिर पक्ष की वादिनी राखी सिंह के वकील
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