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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी की ASI सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होगी या नहीं? आज आ सकता है फैसला

Gyanvapi Case हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने ASI को सर्वे रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत को सौंपने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि आवश्यक होने पर अदालत एक बार फिर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दे सकती है। इस आदेश के अनुपालन से पहले रिपोर्ट सार्वजनिक हो जाती है तो...

By Jagran News Edited By: riya.pandey Updated: Sat, 06 Jan 2024 09:06 AM (IST)
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ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने की ASI की मांग पर आज फैसला

विधि संवाददाता, वाराणसी। Gyanvapi Case: ज्ञानवापी में हुए सर्वे की रिपोर्ट चार सप्ताह तक सार्वजनिक नहीं करने की मांग को लेकर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) के प्रार्थना पत्र पर शुक्रवार को आदेश नहीं आ सका। इस पर बहस पूरी होने के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।

एएसआइ ने सर्वे रिपोर्ट बीते 18 दिसंबर को जिला जज की अदालत को सौंप दी थी। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से ज्ञानवापी के वुजूखाने की सफाई का आदेश देने के लिए दाखिल प्रार्थना पत्र पर भी जिला जज की अदालत से कोई आदेश नहीं आया।

एएसआइ ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा है कि स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर से 1991 में पं. सोमनाथ व्यास व अन्य पक्षकारों की ओर से ज्ञानवापी में नए मंदिर निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने को लेकर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा लंबित है।

अदालत फिर दे सकती है ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश

हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने ASI को सर्वे रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत को सौंपने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट (High Court) ने यह भी कहा था कि आवश्यक होने पर अदालत एक बार फिर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दे सकती है।

इस आदेश के अनुपालन से पहले रिपोर्ट सार्वजनिक हो जाती है तो अफवाह फैल सकती है। इस कारण एएसआइ को ज्ञानवापी का दोबारा सर्वे में कठिनाई आ सकती है।

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ज्ञानवापी में मुस्लिमों का प्रवेश रोकने, पूजा-पाठ का अधिकार देने की मांग को लेकर भगवान अविमुक्तेश्वर विराजमान की ओर से हिंदू सेना के अजीत सिंह व विष्णु गुप्ता द्वारा दाखिल मुकदमे की सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) प्रशांत कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई हुई।

इस मुकदमे में कुलपति तिवारी ने पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है। अदालत ने मुकदमे में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद को आपत्ति दाखिल करने का अंतिम अवसर देते हुए सुनवाई की तारीख 20 जनवरी दी है।

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