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वाराणसी ज्ञानवापी में एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई की मांग पर मुस्लिम पक्ष ने मांगा वक्‍त, देना पड़ा हर्जाना

वाराणसी के ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में 4 पक्षकार बनने का आवेदन को कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज दिया। मुस्लिम पक्ष ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई की मांग पर आपत्ति के लिए वक्त मंगा। अब दो नवंबर को सुनवाई होगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 21 Oct 2022 03:39 PM (IST)
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वाराणसी ज्ञानवापी में एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई की मांग पर मुस्लिम पक्ष ने मांगा वक्‍त

वाराणसी, जागरण संवाददाता। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में 4 पक्षकार बनने का आवेदन खारिज हो गया।  मुस्लिम पक्ष ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई की मांग पर आपत्ति के लिए वक्त मंगा। अदालत ने 100 रुपये हर्जाना पर वक्त दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 नवम्बर को होगी।

राखी सिंह समेत पांच महिलाओं की ओर से जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन समेत अन्य मांगों को लेकर दाखिल मुकदमे की शुक्रवार को सुनवाई हुई। पूर्व में हुए सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग खारिज होने के बाद मंदिर पक्ष एक बार फिर सर्वे की मांग कर रहा है। इस संबंध में पूर्व में दिए गए प्रार्थना पत्र पर शुक्रवार को सुनवाई की गई।

16 मई को एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही हुई थी

17 मई 2022 को अदालत में दिए प्रार्थना पत्र को अदालत के सामने रखा। इसमें मांग किया है कि ज्ञानवापी परिसर में 16 मई को एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान मिले शिवलिंग पूरब तरफ दीवार में दरवाजा को ईंट से ढंक दिया गया है। उत्तर तरफ भी दीवार खड़ी की गई है। नंदी के मुख के सामने तहखाना में ईंट-पत्थर, बालू, बांस-बल्ली का मलबा रखा हुआ है।

वहीं बैरिकेडिंग के अंदर पश्चिमी दीवार पर मौजूद दरवाजे को ईंट-पत्थरों से बंद कर दिया गया है। यह मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में जाने का रास्ता है। प्रार्थना किया है कि इन दीवारों व मलबे को हटाकर पाये गए शिवलिंग की लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई के साथ ही तहखानों की जांच एक बार फिर एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही करके रिपोर्ट दिया जाए।

वादीगण ने व्यक्तिगत हैसियत से पूजा के अधिकारों की मांग करते हुए वाद दाखिल किया है

वादीगण ने व्यक्तिगत हैसियत से पूजा के अधिकारों की मांग करते हुए वाद दाखिल किया है। इस मामले से जुड़े लोगों को प्रतिवादी बनाया है। वादीगण को बाध्य नहीं किया जा सकता है कि वे आवेदकों को इस मुकदमें में वादी या प्रतिवादी की हैसियत से पक्षकार बनाएं। मेरा यह भी विचार है कि वादीगण मुकदमे की उचित पैरवी करने में सक्षम है। तृतीय पक्षकारों ने मुकदमे में पक्षकार बनाए जाने के लिए जो प्रार्थना पत्र दिया है उनसे मुकदमे के न्यायपूर्ण निस्तारण में कोई मदद नहीं मिलेगी।

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