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ज्ञानवापी से जुड़े मुकदमों को इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरित करने मांग, सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल

सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर बनारस के ज्ञानवापी परिसर से जुड़े 15 मुकदमों को इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता महिलाएं ज्ञानवापी में दर्शन और पूजा का अधिकार मांग रही हैं। मुकदमों में ऐतिहासिक तथ्य पुरातत्व और संवैधानिक अधिकारों के मुद्दे शामिल हैं। एक ही अदालत में सुनवाई से विरोधाभासी आदेशों की संभावना कम होगी।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Tue, 22 Oct 2024 01:06 AM (IST)
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मुकदमों को इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित किए जाने की मांग की गई है।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर से संबंधित जिला अदालत और सिविल जज की अदालत में लंबित मुकदमों को इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित किए जाने की मांग की गई है। 

ज्ञानवापी परिसर में दर्शन, पूजा का अधिकार मांगने वाली चार महिला याचिकाकर्ताओं ने स्वयं का मुकदमा और अन्य सभी मुकदमे हाई कोर्ट स्थानांतरित कर सबकी एक साथ सुनवाई करने की मांग की है।

15 मुकदमे बनारस की निचली अदालत में लंबित

ज्ञानवापी परिसर में दर्शन, पूजा और वहां आदि विश्वेश्वर का मूल मंदिर होने का दावा करने वाले कुल 15 मुकदमे बनारस की निचली अदालत में लंबित हैं। इसमें से नौ मुकदमे जिला जज की अदालत में लंबित हैं, जबकि बाकी के छह मुकदमे सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में लंबित हैं। इन सभी मुकदमों को इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरित करने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी व तीन अन्य महिलाओं ने वकील विष्णु शंकर जैन के जरिये अर्जी दाखिल कर कहा है कि सिविल जज सीनियर डिवीजन और जिला जज की अदालत में लंबित मुकदमों में कानून के महत्वपूर्ण सवाल शामिल हैं, जिसे सिर्फ बड़ी अदालत को ही तय करना चाहिए।

इन मुकदमों (मूल वादों में) में ऐतिहासिक तथ्यों, पुरातत्व संबंधी सवाल, हिंदू लाॅ की व्याख्या, मुस्लिम लाॅ की व्याख्या, कुछ कानूनों की संवैधानिकता का मुद्दा, प्रतिकूल कब्जे के कानून की व्याख्या, संविधान के भाग तीन के तहत मौलिक अधिकारों विशेष कर अनुच्छेद 13, 21 और 25 की व्याख्या का मुद्दा शामिल है। 

इसके अलावा, इन मुकदमों में संविधान के अनुच्छेद 300ए की व्याख्या व सामान्य महत्व के सवाल भी शामिल हैं। इसलिए इन मुकदमों की सुनवाई उच्च न्यायालय द्वारा की जानी चाहिए। 

पुनर्विचार याचिकाएं भी लंबित 

अर्जी में कहा गया है कि इसके अलावा कुछ मामले सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में लंबित हैं और कुछ जिला जज की अदालत में लंबित हैं। पुनर्विचार याचिकाओं सहित कुछ मामले हाई कोर्ट में भी लंबित हैं। कुछ पुनर्विचार याचिकाएं जिला जज के यहां भी लंबित हैं, जबकि जिला जज मूल वादों पर भी सुनवाई कर रहे हैं। कुछ मामले अनुच्छेद 227 के तहत हाई कोर्ट में लंबित हैं।

इस स्थिति में अलग अलग या विरोधाभासी आदेश आने की संभावना होगी। इसे देखते हुए सभी मुकदमे हाई कोर्ट ट्रांसफर किए जाएं, क्योंकि सभी मुकदमे भगवान आदि विश्वेश्वर मंदिर और स्वयंभू ज्योतिर्लिंग से संबंधित हैं। सभी को ट्रायल के लिए हाई कोर्ट ट्रांसफर किया जाए और हाई कोर्ट की तीन जजों की पीठ सभी मामलों को सुनकर फैसला करे। 

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