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डिजिटल संस्कार : मोबाइल फोन से दूरी नहीं सावधानी जरूरी, मोबाइल फोन पर बच्चों की गतिविधियों पर रखें नजर

sanskarshala 2022 मोबाइल फोन से दूरी बनाना संभव नहीं है लेकिन मोबाइल फोन का इस्तेमाल हमें सावधानी पूर्वक करने की जरूरत है। अन्यथा मुसीबत का कारण बनने में तकनीकी को देर नहीं लगेगी। तकनीकी के हमेशा सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पहलू होते हैं।

By Ajay Krishna SrivastavaEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Thu, 27 Oct 2022 08:28 PM (IST)
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डा. वंदना सिंह, निदेशक संत अतुलानंद कान्वेंट स्कूल वाराणसी
वाराणसी, डा. वंदना सिंह। तकनीकी के इस दौर में मोबाइल फोन मिनी कंप्यूटर बन गया है। इसकी उपयोगिता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। गैस सिलेंडर बुक कराने, आनलाइन खरीदारी, पासबुक, आनलाइन पैसा ट्रांसफर से लगायत आनलाइन पढ़ाई यह सब स्मार्ट मोबाइल व इंटरनेट से ही संभव हुआ है। ऐसे में मोबाइल फोन से दूरी बनाना संभव नहीं है लेकिन मोबाइल फोन का इस्तेमाल हमें सावधानी पूर्वक करने की जरूरत है। अन्यथा मुसीबत का कारण बनने में तकनीकी को देर नहीं लगेगी।

तकनीकी के हमेशा सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पहलू होते हैं। हमारे ऊपर निर्भर है कि तकनीकी का हम उपयोग करते हैं या दुरूपयोग। वर्तमान में बड़े तो बड़े बच्चों को भी मोबाइल फोन का लत पकड़ता जा रहा है। कई बच्चे रात-रात भर मोबाइल फोन पर गेम खेलते रहते हैं। कुछ बच्चों को आनलाइन गेम का इस कदर नशा हो जाता है कि उनकी दुनिया डिजिटल पर ही सिमट कर रह गई है। कई आनलाइन गेम जुआ की भांति होती है। बच्चे इसमें पैसे भी लगा रहे हैं।

वह भी अपने माता-पिता व अभिभावक के चोरी-चोरी। बगैर सोचे समझे गेम के लिए बच्चे आनलाइन पैसा पैसा भी ट्रांसफर कर दे रहे हैं। बच्चों की नासमझी से फ्राड होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं मोबाइल गेम के चक्कर में बच्चों का स्वभाव भी बदलता जा रहा है। बच्चे चिड़चिड़ा होते जा रहे हैं। ऐसे में बच्चों को मोबाइल गेम से दूरी बनाना जरूरी है। डिजिटल के स्थान पर बच्चों को वास्तविक खेल से जुडऩे की जरूरत है ताकि उनका स्वास्थ्य खराब होने के स्थान पर सुधार हो सके।

खेलकूद की प्रतियोगिताएं बच्चों में टीम की भावना भी विकसित करती है। जबकि मोबाइल फोन पर दिन-रात लगे रहने से आंख पर भी कुप्रभाव पड़ता है। बच्चे तो बच्चे बड़े भी कभी-कभी प्रलोभन में चक्कर में बगैर सोचे-समझे ओटीपी साझा कर देते हैं। ऐसे लोग ही ठगी के शिकार होते हैं।

हाईटेक ठग कुछ ही सेकेंडों में पूरा अकाउंट खाली कर देते हैं। ऐसे में कभी भी किसी भी अजनबी को ओटीपी साझा न करें। अन्यथा आपके साथ धोखा हो सकता है। अभिभावकों से सुझाव है कि वह बच्चों को मोबाइल फोन दें तो मोबाइल फोन पर उनके गतिविधियों पर नजर रखें कि वह उसका उपयोग कर रहे हैं या दुरूपयोग।

(लेखक : संत अतुलानंद कान्वेंट स्कूल की निदेशक हैं। )

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