Digital Sanskar : किसी केे पोस्ट से उसके व्यक्तित्व की पहचान करना ठीक नहीं, सोच-समझ कर करें दोस्ती
बगैर सोचे-समझे घर-परिवार की फोटो भी साझा करते रहते हैं। जिसे हम जानते तक नहीं उनकी पोस्ट पर लाइक कमेंट भी कर देते हैं। दूसरी ओर अपनी पोस्ट पर भी कितने लाइक कमेंट आए। इस पर उनका ध्यान लगा रहता है।
By Ajay Krishna SrivastavaEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Thu, 13 Oct 2022 10:01 PM (IST)
डा. गंगाधर राय। समाज में हर तरह के लोग होते हैं। कुछ लोग आपकी मदद करते हैं तो कुछ लोग आपकी मजबूरी का फायदा उठाते हैं। ऐसे में बगैर सोचे-समझे हमें हर बात साझा नहीं करनी चाहिए। सोच-समझ कर ही हमें अपनी बात दूसरे से कहना चाहिए। इससे इतर कुछ लोग सोशल मीडिया पर हर छोटी-बड़ी बात साझा करते रहते हैं।
ऐसे लोग ही धोखा व ठगी का शिकार होते हैं। इससे बचने के लिए हमें व्यक्ति की पहचान स्वयं करनी होगी। बगैर जाने-समझे हमें दोस्ती व मित्रता से बचना चाहिए। हम यह नहीं कहते है कि आप दोस्ती न करों।
वर्तमान दौर में प्राय: हर व्यक्ति इंटरनेट मीडिया से जुड़ा हुआ है। कुछ लोग फेसबुक, वाट्स-एप हर छोटी-बड़ी बात साझा करते रहते हैं। मसलन क्या कर रहे हैं। कहां जा रहे हैं सहित अन्य जानकारी। यही नहीं बगैर सोचे-समझे घर-परिवार की फोटो भी साझा करते रहते हैं। जिसे हम जानते तक नहीं उनकी पोस्ट पर लाइक, कमेंट भी कर देते हैं। दूसरी ओर अपनी पोस्ट पर भी कितने लाइक, कमेंट आए।
इस पर उनका ध्यान लगा रहता है। ऐसे लोग फेस बुक पर हर किसी को आसानी से फ्रेंड भी बना लेते है। यही कारण है कि आभासी प्लेटफार्म लोगों के हजारों दोस्त है। इनकी संख्या दिन रात बढ़ती ही जा रही है। पर असल जिंदगी में एक भी दोस्त नहीं, जिससे वह अपने मन की बात कह सके। ऐसे लोगों को समाज से जुड़ने के लिए आभासी दुनिया से बाहर निकलने की जरूरत है।
याद रखें रिश्ते वर्चुअल से नहीं भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। आभासी दुनिया के रिश्ते-रिश्ते नहीं होते। आभासी दुनिया मनोरंजन का एक पार्ट है जीवन का नहीं। सोशल मीडिया पर किसी केे पोस्ट देखकर उसके व्यक्तित्व की पहचान नहीं की जा सकती है। समाज में तमाम ऐसे लोग जो सुबह-सुबह इंटरनेट मीडिया पर प्रवचन देते है। गुड मार्निंग के साथ कुछ ऐसा पोस्ट करेंगे। मानो समाज में उनके जैसा ईमानदार, अच्छा व सच्चा व्यक्ति धरती पर कोई नहीं है। जबकि वास्तविक जीवन उनका इससे इतर होता है।
ऐसे में किसी के पोस्ट से उस व्यक्ति के बारे में कोई धारणा बनना गलत है। इंटरनेट मीडिया की मित्रता एक आभासी दोस्ती है जो हमें आभास कराता है कि हमारे हजारों दोस्त है। समाज में मेरी अच्छी पैठ है। मेरे पोस्ट को पांच हजार लोगों ने लाइक, कमेंट किया। अर्थात हम स्वयं एक अाभासी दुनिया में रहने लगते है। वास्तव में जरूरत पड़ने पर एक भी दोस्त आपका साथ नहीं देते हैं। यही नहीं विपरित परिस्थितियाें में अाभासी प्लेटफार्म के दोस्त साथ छोड़ने में भी देर नहीं लगती है। ऐसे में हमें आभासी नहीं वास्तविक दुनिया में रहने जरूरत है। सीधे संवाद से ही व्यक्ति की पहचान होती है।
लेखक : राजकीय क्वींस इंटर कालेज के प्रधानाचार्य हैं।
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