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डिजिटल संस्कारशाला : बच्चे खेल रहे गेम या कर रहे पढ़ाई, इस पर नजर रखना अभिभावक की जिम्मेदारी

वर्तमान दौर में तकनीकी से दूरी बनाना संभव नहीं है। कोविड काल से आनलाइन प्लेटफार्म पठन-पाठन का एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा है। ऐसे में हम स्मार्टफोन व टैबलेट से बच्चों को दूर नहीं कर सकते हैं।

By Ajay Krishna SrivastavaEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Thu, 06 Oct 2022 08:44 PM (IST)
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डा. विश्वनाथ दुबे, सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कालेज के प्रधानाचार्य
डा. विश्वनाथ दुबे। वर्तमान दौर में तकनीकी से दूरी बनाना संभव नहीं है। कोविड काल से आनलाइन प्लेटफार्म पठन-पाठन का एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा है। ऐसे में हम स्मार्टफोन व टैबलेट से बच्चों को दूर नहीं कर सकते हैं। इसके स्थान पर हमें यह देखने की जरूरत है कि बच्चे नेट का उपयोग कर रहे हैं या दुरुपयोग। बच्चों को सही दिशा व संस्कार देने माता-पिता व गुरु का होता है। ऐसे में मोबाइल से गेम खेल रहे है या पढ़ाई। इस पर अभिभावक की अटेस्ट व असाइमेंट आनलाइन कराया जा रहा हैनिवार्य रूप से नजर होनी चाहिए।

टेस्ट व असाइमेंट आनलाइन कराया जा रहा है

दरअसल हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इसी प्रकार तकनीकी के भी सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पहलू होते हैं। यह हमारे और आप पर निर्भर करता है कि हम किस नजरिए से तकनीकी को देख व समझ रहे हैं। इंटरनेट पर तमाम पाठ्य सामग्रियां मौजूद है। इसके अलावा तमाम शैक्षणिक संस्थानों में आफलाइन के साथ-साथ आनलाइन पढ़ाई भी कराया जा रहा है।

टेस्ट व असाइमेंट आनलाइन कराया जा रहा है। यही नहीं अब ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाएं आनलाइन कराई जा रही है। इसे देखते हुए अब कक्षा-तीन से ही बच्चों को कंप्यूटर का अभ्यास कराया जा रहा है। दूसरी ओर तकनीकी की महत्ता को देखते हुए ही प्रदेश सरकार उच्च शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थियों को टैबलेट व स्मार्ट फोन मुफ्त मुहैया करा रही है। कुल मिलाकर तकनीकी को लेकर चिंता नहीं जागरूक रहने की जरूरत है।

जरूरत के अनुसार ही करें स्मार्ट फोन का उपयोग

विद्यार्थियों का मुख्य रूप पठन-पाठन व स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। इसी प्रकार पढ़ाई में भी तकनीकी के उपयोग की एक लिमिट होती है। विद्यार्थियों को इससे बाहर नहीं जाना चाहिए। अर्थात मोबाइल फोन के उपयोग का भी एक समय होता है। यदि दिन-रात मोबाइल फोन में लगे रहते तो इसका दुष्प्रभाव पडऩा तय है। तकनीकी के नाम यह इंटरनेट की लत ठीक नहीं है।

हर बात में तकनीक का सहयोग लेना अनुचित हैं। हमें एक सीमा तक तकनीक का प्रयोग करना चाहिए। तकनीकी पर निर्भरता ठीक नहीं है। वहीं स्मार्टफोन से रिश्तों दूरी बढ़ रही है। रिश्तों की मिठास बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। बच्चों को स्मार्ट फोन का उतना ही उपयोग करने दें जितनी जरूरत है।

(लेखक- सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कालेज के प्रधानाचार्य हैं)

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