Move to Jagran APP

Diwali 2023 Date: कब मनाई जाएगी देव दीपावली, काशी के विद्वानों ने बताई तारीख और पूजा का शुभ समय

Diwali 2023 Date देव दीपावली (त्रिपुरोत्सव) 26 नवंबर को मनाई जाएगी। कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर को दोपहर 315 बजे लग रही है जो 27 को दोपहर 217 बजे तक रहेगी। पहले दिन प्रदोष काल व्यापिनी पूर्णिमा होने से देव दीपावली मनाई जाएगी जबकि दूसरे दिन उदयातिथि में स्नान-दान की पूर्णिमा होगी। पूर्णामासी को संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Wed, 20 Sep 2023 08:33 AM (IST)
Hero Image
कब मनाई जाएगी देव दीपावली, काशी के विद्वानों ने बताई तारीख और पूजा का शुभ समय
जागरण संवाददाता, वाराणसी : देव दीपावली (त्रिपुरोत्सव) 26 नवंबर को मनाई जाएगी। कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर को दोपहर 3:15 बजे लग रही है जो 27 को दोपहर 2:17 बजे तक रहेगी। पहले दिन प्रदोष काल व्यापिनी पूर्णिमा होने से देव दीपावली मनाई जाएगी जबकि दूसरे दिन उदयातिथि में स्नान-दान की पूर्णिमा होगी।

इस पर काशी के विद्वानों ने सर्वसम्मति जताई है। दैनिक जागरण की ओर से मंगलवार को नदेसर कार्यालय सभागार में विचार गोष्ठी में विद्वानों ने कार्तिक पूर्णिमा दो दिन पड़ने से उपजी भ्रम-भ्रांतियों का निवारण किया।

पूर्णिमा की स्थिति एवं सूक्ष्म मान को आधार बनाकर धर्म शास्त्रीय वचनों का आश्रय लेते हुए सर्वसम्मत निर्णय दिया। विभिन्न शास्त्र प्रमाणों के आधार पर प्रो. विनय कुमार पांडेय ने उपस्थापित किया।

इसे भी पढ़ें: Ayushman Card Apply: अब घर बैठे खुद बना सकेंगे आयुष्मान कार्ड, योजना में बदलाव से इन लोगों को भी मिलेगा लाभ

कहा-त्रिपुरोत्सव भगवान शिव के हाथों त्रिपुरासुर के वध पर देवताओं द्वारा दीप जलाकर उत्सव मनाने का पर्व है। त्रिपुरोत्सव के संबंध में भविष्य पुराण में कहा गया है-‘पौर्णमास्यां तु संध्यायां कर्तव्यस्त्रिपुरोत्सवः। दद्यादनेन मन्त्रेण सुदीपांश्व सुरालये। कीटाः पतङ्गा मशकाश्च वृक्षा जले स्थले ये विचरंति जीवाः। दृष्ट्वा प्रदीपं नहि जन्मभागिनस्ते मुक्तरूपा हि भवन्ति तत्र।’ इति।

देवालयों में जलाना चाहिए दीप

अत्र पौर्णमासी संध्याकालव्यापिनी ग्राह्या पूर्वोक्तभविष्यवाक्ये संध्यायामित्युक्तेः।’ अर्थात् पूर्णामासी को संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करना चाहिए। इसके कृत्य में देवालयों में दीप जलाना चाहिए ताकि उस दीप को देख कर कीट, पतंगादि तक जन्म बंधन से मुक्त हो जाएं।

इसे भी पढ़ें: मेनका गांधी ने की PM मोदी की जमकर तारीफ, बोली- इस ऐतिहासिक पल का हो रहा गर्व

त्रिपुरोत्सव के प्रसंग में पूर्णिमा संध्याकाल व्यापिनी ही ग्राह्य होती है जो 26 नवंबर को ही प्राप्त हो रही है। इसी दिन देवदीपावली का आयोजन करना शास्त्र सम्मत होगा।

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय, काशी विद्वत परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय व महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी, ज्योतिर्विद डा. उमाशंकर त्रिपाठी, आचार्य त्रिवेणी प्रसाद शुक्ला, पंचांगकार विशाल उपाध्याय, अमित मिश्र, केंद्रीय देव दीपावली महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीश दत्त मिश्र ने विचार व्यक्त किए। स्वागत दैनिक जागरण के निदेशक वीरेंद्र कुमार व विषय स्थापना वरिष्ठ समाचार संपादक भारतीय बसंत कुमार ने किया।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।