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Varanasi News: आठ साल से मुख्य श्वास नली में अटकी थी चवन्नी, BHU के डॉक्टरों ने 20 मिनट में निकाला

चालीस वर्षीय एक व्यक्ति की श्वास नली में आठ वर्ष से अटकी चवन्नी को बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल के डाक्टरों ने 20 मिनट के आपरेशन में बाहर निकाल दिया। इससे मरीज को अब काफी आराम है। उसे बुधवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। ऑपरेशन में एडवांस्ड रिगीद ब्रांकोस्कोप तकनीक का उपयोग किया। सब लोग डॉक्‍टर की तारीफ कर रहे हैं।

By Shailesh Asthana Edited By: Vivek Shukla Published: Wed, 03 Jul 2024 11:39 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2024 11:39 AM (IST)
व्यक्ति की श्वांस नली में अटका 25 पैसे का सिक्का। जागरण

जागरण संवाददाता, वाराणसी। चालीस वर्षीय एक व्यक्ति की श्वास नली में आठ वर्ष से अटकी चवन्नी को बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल के डाक्टरों ने 20 मिनट के आपरेशन में बाहर निकाल दिया। इससे मरीज को अब काफी आराम है। उसे बुधवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

श्वास नली में पड़े इस सिक्के को निकालने के लिए प्रो. सिद्धार्थ लाखोटिया व प्रो. एसके माथुर के नेतृत्व में कार्डियो थोरेसिक सर्जन और एनेस्थेसियोलाजिस्ट की टीम ने एडवांस्ड रिगीद ब्रांकोस्कोप तकनीक का उपयोग किया।

डा. सिद्धार्थ ने बताया कि वयस्कों में मजबूत कफ रिफ्लेक्स की उपस्थिति के कारण वस्तुओं का श्वास नली यानी फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली मुख्य नली में जाना बहुत ही असामान्य बात है जबकि बच्चों में यह आम बात है।

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आठ वर्षो तक कोई बाहरी वस्तु मुख्य श्वास नली में पड़ी रहे, ऐसी घटना बहुत ही कम सुनने को मिलती है, वह भी वयस्कों में। पहले भी ऐसा एक मामला आया था, जिसमें गोदरेज आलमारी की चाबी 10 साल से पड़ी हुई थी, उसे भी सफलतापूर्वक निकाला गया था।

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जीवन के लिए हो सकता था खतरा

डा. लाखोटिया ने बताया कि शरीर में वाह्य वस्तु का दीर्घकाल तक पड़े रहना जीवन के लिए खतरा हो सकता है। इससे रोगी का दम घुट सकता है, फेफड़े खराब हो सकते हैं या फिर सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इससे रोगी की मौत भी हो सकती है।

आपरेशन में मुख्य भूमिका निभाने वाली एनेस्थिसियोलाजिस्ट डा. अमृता ने बताया कि ऐसी प्रक्रियाओं के लिए बहुत उच्च स्तर की सटीकता की आवश्यकता होती है। थोड़ी सी भी त्रुटि जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती है।

कार्डियोथोरेसिक सर्जन डा. रत्नेश ने बताया कि वयस्कों की सांस की नली से वस्तुएं निकालने की यह एडवांस्ड रिगीद ब्रोंकोस्कोप तकनीक पूर्वी उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पतालों मे केवल आइएमएस, बीएचयू में ही उपलब्ध है। यदि कोई व्यक्ति मुंह में कुछ भी रखकर सोता है या शराब और नशीली दवाओं के प्रभाव में अर्ध-चेतन अवस्था में होता है तो सांस की नली में वाह्य वस्तु के जाने की संभावना बढ़ जाती है। टीम में स्टाफ के त्रिवेंद्र त्यागी, आनंद कुमार, ओम प्रकाश, बैजनाथ पाल, विकास एवं संजय भी शामिल थे।


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