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रामनगर की विश्व प्रसिद्ध Ramlila को लेकर संशय, Covid-19 संक्रमण के कारण अभी तक कोई तैयारी नहीं

रामनगर की रामलीला हर साल अनंत चतुर्दशी से शुरू होती रही है जो इस बार सोमवार को पड़ रही है। इस बार कोरोना संकट ने संशय की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Mon, 31 Aug 2020 01:14 PM (IST)
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रामनगर की विश्व प्रसिद्ध Ramlila को लेकर संशय, Covid-19 संक्रमण के कारण अभी तक कोई तैयारी नहीं

वाराणसी, जेएनएन। धर्म नगरी काशी में रामलीला का समृद्ध इतिहास रहा है। चित्रकूट और लाटभैरव की रामलीला करीब साढ़े चार सौ साल प्राचीन तो लगभग सवा दो सौ साल पुरानी रामनगर की रामलीला की वैश्विक ख्याति है। एक दो दिन या प्रसंग की बात तो छोड़ दें तो कभी एेसा नहीं हुआ की ये लीलाएं तय तिथि से डिग जाएं लेकिन इस बार कोरोना संकट ने संशय की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। रामनगर की रामलीला हर साल अनंत चतुर्दशी से शुरू होती रही है जो इस बार सोमवार को प़ड़ रही है।

प्रतिवर्ष इस दिन क्षीर सागर की झांकी के दर्शन कर दिव्य-भव्य लीला का आरंभ होता रहा है। हालांकि इस बार आश्विन मास में अधिमास के कारण आयोजन तिथि में एक माह का अंतर जरूर आता लेकिन तैयारियों का हाल देखते हुए लीला नेमियों में संशय की स्थिति है। पात्र चयन और गणेश पूजन आदि के विधान इस बार न किए जाने से वैश्विक ख्याति की इस लीला को इस साल स्थगित ही माना जा रहा है। यह बात और है कि इस संबंध में रामलीला से जुड़ा कोई सदस्य कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

 वास्तव में मेघा भगत द्वारा शुरू कराई गई चित्रकूट और लाटभैरव की रामलीला को लेकर आयोजकों ने विकल्प तलाश लिया है मगर रामनगर में अब तक इस दिशा में विचार तक नहीं किया जा सका है। हालांकि गणेश पूजन की दो तिथियां एेसे ही निकल जाने, रामलीला के पंच स्वरूपों का चयन न किए जाने और उनका प्रशिक्षण शुरू न हो पाने से श्रद्धालु सशंकित तो थे लेकिन कोई विकल्प सामने आने को लेकर भी लोग आशान्वित थे। इस बीच संयोजक काशिराज परिवार के अनंत नारायण सिंह के कोरोना पाजिटिव आने से बात भी आगे नहीं बढ़ सकी है। वैसे अभी भी उम्मीदों का दामन नहीं छूटा है। रामलीला से जुड़े लोग अभी सांकेतिक रामलीला और आरती की उम्मीद जता रहे हैं। चित्रकूट रामलीला समिति की ओर से आयोजित होने वाले लक्खा मेला भरत मिलाप को लेकर भी संशय की स्थित है। उधर, चित्रकूट और लाटभैरव की रामलीला न हो पाने की स्थिति में विकल्प तय कर लिया गया है। लाट भैरव रामलीला समिति के प्रधानमंत्री कन्हैया लाल यादव के अनुसार इस साल बीस स्थानों पर रामलीला से संबंधित प्रसंगों का पाठ किया जाएगा।

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