Dr. Keshav Baliram Hedgewar Death Anniversary काशी में डा. हेडगेवार ने लगाई थी पहली शाखा
Dr. Keshav Baliram Hedgewar Death Anniversary डा. हेडगेवार ने वर्ष 1931 में 11 मार्च को काशी आए और 13 मार्च को यहां शाखा लगाई।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Sun, 21 Jun 2020 09:41 AM (IST)
वाराणसी [अशोक सिंह]। Dr. Keshav Baliram Hedgewar Death Anniversary (जन्म: 1 अप्रैल 1889, नागपुर, मृत्यु: 21 जून 1940, नागपुर) विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना भले ही महाराष्ट्र में हुई लेकिन मात्र कुछ वर्ष बाद ही इसकी पटकथा काशी में लिखी गई। इसका परिणाम हुआ कि आरएसएस के संस्थापक डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने वर्ष 1931 में 11 मार्च को काशी आए और 13 मार्च को यहां शाखा लगाई। संघ का नौ दशक पूर्व काशी से हुआ यह जुड़ाव निरंतर बढ़ता रहा।
डा. हेडगेवार की 21 जून को पुण्यतिथि है। संघ के पुराने स्वयंसेवकों में उनके काशी आगमन और लगाव की यादें ताजा हो गईं हैं। डा. हेडगेवार ने धन धनेश्वर मंदिर परिसर (ब्रह्माघाट) में सायं (शाम को लगने वाली) शाखा शुरू की। शाखा व पथ संचलन में ज्यादातर प्रौढ़ों ने शिरकत की थी। डा. हेडगेवार काशी में करीब 22 दिन रहकर रोज शाखा लगवाने के साथ संघ को मजबूत करने के लिए लोगों से मिलते थे। लोगों को जोडऩे के बाद तन-मन-धन से संघ का कार्य करने के लिए शब्दावली तैयार कर प्रतिज्ञा भी कराई। इस दौरान ही काशी के प्रथम संघचालक की जिम्मेदारी बाबा साहेब दामले को दी गई। साथ ही धन धनेश्वर मंदिर में लगने वाली शाखा कुछ समय बाद ब्रह्माघाट मोहल्ले में ही अन्यत्र स्थानांतरित हो गई है।
सावरकर बने स्थापना के कारण
काशी उत्तर जिला के सह संचालक जयंतीलाल शाह ने बताया कि स्वतंत्रता आंदोलन की अग्रिम पंक्ति के सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के बड़े भाई व डा. हेडगेवार के मित्र गणेश दामोदर सावरकर इलाज के लिए काशी आकर रतन फाटक स्थित अमृत भवन में रुके। वैद्य त्रयंबक शास्त्री उनका इलाज कर रहे थे। यहां गणेश सावरकर की मुलाकात पुजारी बाबा साहब दामले से हुई। संघ से प्रभावित दामले उन दिनों महाराष्ट्र जाते रहते थे। इलाज कराने के बाद यहां से लौटने पर सावरकर ने डा. हेडगेवार से काशी में संघ की शाखा लगाने का प्रस्ताव रखा और इसके लिए दामले का नाम सुझाया। इस पर सहमति जताते डा. हेडगेवार ने दामले को पत्र लिखा और लोगों को संघ से जोडऩे के लिए कहा। इसके बाद डा. हेडगेवार खुद काशी आ गए। उनकी पं. मदन मोहन मालवीय से भी मित्रता थी। इस कारण वह 26 मार्च को बीएचयू पहुंचे और वहां भी शाखा लगाई गई।
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