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Dr. Shanti Swarup Bhatnagar Death Anniversary : बीएचयू ने देश को दिया था रिसर्च लैबोरेटरी का जनक

काशी को अपनी कविता से सर्व विद्या की राजधानी के रूप में लोकप्रिय बनाने वाले डा. शांति स्वरूप भटनागर भले ही आज भारत में रिसर्च लैबोरेटरी के जनक कहे जाते हैं मगर उसका आधार बीएचयू में तब पड़ा जब वह पहली बार अध्यापक के रूप में नियुक्त हुए थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 01 Jan 2021 08:23 AM (IST)
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बीएचयू का कुलगीत लिखकर लोकप्रिय बने डा. शांति स्वरूप भटनागर।

वाराणसी [हिमांशु अस्थाना] । काशी को अपनी कविता (बीएचयू का कुलगीत) से सर्व विद्या की राजधानी के रूप में लोकप्रिय बनाने वाले डा. शांति स्वरूप भटनागर (21 जनवरी, 1894 (शाहपुर) निधन - 1 जनवरी, 1955 (नई दिल्ली) भले ही आज भारत में रिसर्च लैबोरेटरी के जनक कहे जाते हैं, मगर उसका आधार बीएचयू में तब पड़ा जब वह पहली बार वर्ष 1921 में अध्यापक के रूप में नियुक्त हुए थे। महामना मालवीय जी के आग्रह पर वह अपनी पढ़ाई पूरी कर बीएचयू आए और रसायन शास्त्र विभाग के पहले अध्यक्ष बने। तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने बीएचयू में भौतिक रसायन को देश में काफी उच्च स्थान दिलाया। उन्होंने बीएचयू में देश के पहले फिजिको-केमिकल रिसर्च स्कूल की स्थापना की, जिसमें वस्तुओं के गुणधर्म और प्रकृति का पता लगाया जाता था। बीएचयू से देश के बेहतर केमिस्ट तैयार हों, इसके लिए उन्होंने प्रयोगशालाओं पर काफी काम किया। मालवीय जी सं अनुरोध कर देश-विदेश से रिसर्च कार्यों के लिए अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई और बीएचयू दुनिया भर में अपने रसायन विद्या के लिए खासा मशहूर हुआ।  उनके भावी अनुसंधानों की नींव बीएचयू में इतनी मजबूत हो गई कि अपने शोध व  अनुसंधानों को बढ़ावा देने के लिए देश-विदेश के कई संस्थानों से आमंत्रण आने लगे।

बीएचयू से शुरू हुआ इंडस्ट्री रिसर्च पर काम

बीएचयू में रसायन शास्त्र विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. डी एस पांडेय के अनुसार बीएचयू में रहते हुए डा. भटनागर ने देश में सबसे पहले इंडस्ट्री रिसर्च का शुभारंभ किया था, जिसके चलते देश को कई बड़े केमिस्ट मिले। भटनागर जी के बाद प्रो. एस एस जोशी और प्रो. बी एम शुक्ल ने उनके कार्यों को आगे बढ़ाया। उन्ही की देन है कि आज विभाग रिसर्च के अलावा औद्योगिक कार्यों से भी जुड़ा है। इसके लिए एनएमआर-500 समेत कई अत्याधुनिक मशीनें और उपकरण ल्रगाईं गईं हैं, जिनसे शहद  व दूध समेत कई खाद्य पदार्थों के शुद्धता की जांच होती है। बीएचयू से जब वह लाहौर विश्वविद्यालय गए, तो यहां पर उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व कार्यों को देखते हुए रसायन शास्त्र प्रयोगशाला का प्रमुख नियुक्त किया गया और उसी के बाद से वह रिसर्च लैबोरेटरी के क्षेत्र में भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में लाकर खड़ा कर दिए। प्रो. पांडेय ने बताया कि वर्ष 1942 में सीएसआइआर की स्थापना देश भर में कई प्रयोगशालाओं को स्थापित कराया। यह भी खास है कि यूजीसी के पहले चेयरमैन भी डा. भटनागर ही बने थे।

सबसे पहले उर्दू में लिखा था बीएचयू का कुलगीत

बीएचयू के पूर्व विशेष कार्याधिकारी डा. विश्वनाथ पांडेय के अनुसार डा. भटनागर ने बीएचयू का कुलगीत सबसे पहले उर्दू में लिखा था, उसे बाद में ङ्क्षहदी और अंग्रेजी में अनुवाद किया। इस गीत को भारत के तमाम विश्वविद्यालयों और संस्थानों के कुलगीत में सबसे बेहतर माना जाता है। इस गीत के माध्यम से बीएचयू का संस्कृति के प्रति स्वाभिमान, शिक्षा के साथ चरित्र और नैतिक मूल्य आदि की भावना को बताया।

वैचारिक चोरी से क्षुब्ध होकर छोड़ा बीएचयू

बीएचयू के पूर्व शोधार्थी डा. शुभनीत कौशिक ने बताया कि डा. भटनगार ने रसायन विभाग में हुए वैचारिक चोरी (प्लेगरिज्म्) पर विश्वविद्यालय प्रशासन से शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके चलते विज्ञान विभाग में उनके विरूद्ध माहौल बन गया। स्थानीय गतिरोध इतना बढ़ गया कि उनका अध्यापन और शोध कार्य प्रभावित होने लगा। इससे अजीज आकर उन्होंने बीएचयू को छोडऩा ही मुनासिब समझा।

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