वरुणा होंगी खुशहाल, अस्तित्व पाएगी असि, दोनों प्रमुख नदियों का समृद्ध होगा पेटा
काशी की पहचान से जुड़ी पौराणिक नदी वरुणा खुशहाल होगी तो शहर के बीच सेे गुजरती असि पर से नाले का लांछन भी अब हटे सकेगा और वह अपने अस्तित्व में आएंगी।
By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Tue, 04 Dec 2018 01:02 PM (IST)
वाराणसी, जेएनएन । धर्म नगरी काशी के अधिकृत नाम वाराणसी को अस्तित्व प्रदान करने वाली दोनों नदियों का पेटा समृद्ध होगा। इसमें पौराणिक नदी वरुणा खुशहाल होगी तो शहर के बीच सेे गुजरती असि पर से नाले का लांछन हटेगा और अपने अस्तित्व में आएगी। फिलहाल शासन ने वरुणा की उद्गम स्थल से लेकर गंगा संगम यानी आदिकेशव तक ड्रेजिंग के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। राज्य मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी की पहल पर सीएम ने जल्द से जल्द कागजी औपचारिकता पूरी कर कार्य शुरू करने का निर्देश दे दिया है।
दरअसल, जौनपुर, प्रयागराज व प्रतापगढ़ की सीमा पर स्थित इनऊछ ताल के मैलहन झील से वरुणा नदी का उद्गम है। सैकड़ों गांवों को जीवन प्रदान करने वाली वरुणा का अस्तित्व उपेक्षा के चलते खतरे में है। वर्ष 2016 में इस पर शहरी क्षेत्र के भीम नगर से आदिकेशव तक 10.03 किलोमीटर में 201.65 करोड़ की लागत से कारिडोर बनाने की कवायद भी शुरू की गई लेकिन हाल फिलहाल मंझधार में ही है। माना जा रहा है वरुणा को सिर्फ शहरी इलाके के बजाय हेड-टू-टेल गहरा करते हुए वर्ष भर जलाजल रखने का इंतजाम कर लिया गया तो यह किसानों के लिए संजीवनी के सम न होगी। इसके अलावा गंगा के बाद वरुणा में भी जल परिवहन को विस्तार दिया जा सकेगा। इसमें बड़े स्टीमर आदि चलाकर शहर को जाम से मुक्त किया जा सकेगा।
असि नदी का भी उद्धार
इसके अलावा बीच शहर से गुजरती असि को जलालत से मुक्ति देने के लिए सीवेज पाइप डालने का खाका खींचा गया है। इसे रमना एसटीपी से सीधे जोड़ कर असि को अस्तित्व दिया जाएगा। इसके लिए पूरे नदी क्षेत्र का सर्वे करा कर अतिक्रमण भी हटाए जाएंगे। इस तरह दोनों नदियों को नवजीवन दिया जाएगा। राज्य मंत्री डा. नीलकंठ के अनुसार वाराणसी की पहचान के लिहाज से वरुणा व असि बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों नदियों को सजा-संवार कर साल भर पानी का इंतजाम किया जाएगा। इस तरह दोनों नदियों को पर्यटन के लिहाज से भी विकसित किया जाएगा।
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