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कमर में बांधकर म्यांमार से सोना ला रहे थे तस्कर, वाराणसी की ट्रेन में DRI को हुआ शक; फिर…

सोना तस्करी में महाराष्ट्र के सांगली जनपद का कनेक्शन फिर से सामने आया है। पीडीडीयू जंक्शन पर पकड़े गए दोनों तस्करों में अमित महाराष्ट्र के सांगली का है जबकि दूसरा तमिलनाडु के कोयंबटूर निवासी अरविंद चंद्रकांत कदम का बेस भी पड़ताल में सांगली का निकला है। इससे पूर्व अक्टूबर माह में नौ किलो सोने के साथ पकड़े गए दोनों तस्कर भी सांगली के थे।

By Rakesh Srivastava Edited By: riya.pandey Updated: Tue, 09 Jan 2024 08:47 AM (IST)
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ट्रेन के एसी फर्स्ट क्लास में साढ़े तीन किलो सोना ले जा रहे थे तस्कर
जागरण संवाददाता, वाराणसी। तू डाल-डाल तो मैं पात-पात...। सोना तस्कर ऐसी ही रणनीति अपनाते हुए दो करोड़ आठ लाख रुपये का सोना (तीन किलो 220 ग्राम) लेकर अप ब्रह्मपुत्र (15658) मेल के एसी फर्स्ट कोच में आरक्षण कराकर सफर पर निकले थे।

डायरेक्टरेट आफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआइ) की टीम को एक और गच्चा देने की कोशिश हुई, तस्करों को कानपुर उतरकर बस से इंदौर फिर महाराष्ट्र पहुंचना था, जबकि उनका बर्थ पुरानी दिल्ली तक के लिए आरक्षित थी।

पूरी रणनीति थी कि ट्रेन के 10 मिनट के ठहराव में सुरक्षित निकल जाएंगे, लेकिन मुखबिर की सटीक सूचना तमिलनाडु के कोयंबटूर निवासी अरविंद चंद्रकांत कदम और महाराष्ट्र के सांगली निवासी अमित श्रीरंग जाधव के पांव की बेड़ियां बन गईं और सात जनवरी रविवार को दोनों पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर सात पर पकड़े गए।

गिरफ्तारी से बचने को करते जनरल कंपार्टमेंट में सफर

अभी तक डीआरआइ की कार्रवाई में सोना तस्करी से जुड़े कैरियर या तस्कर अधिकांश बार जनरल कंपार्टमेंट में पकड़े गए हैं। कुछ मामलों में स्लीपर कोच को भी मुफीद समझते थे, लेकिन अबकी वातानुकूलित कोच में सफर कर सबको चौंका दिया। सूत्रों के मुताबिक डीआरआइ वाराणसी की टीम हुलिया के आधार पर तस्करों को खोज रही थी, इसलिए सफलता मिल गई। दोनों को वाराणसी में रिमांड मजिस्ट्रेट के यहां पेश किया, जहां से दोनों तस्कर जिला कारागार जा पहुंचे।

सोना तस्करी में फिर सामने आया सांगली कनेक्शन

सोना तस्करी में महाराष्ट्र के सांगली जनपद का कनेक्शन फिर से सामने आया है। पीडीडीयू जंक्शन पर पकड़े गए दोनों तस्करों में अमित महाराष्ट्र के सांगली का है, जबकि दूसरा तमिलनाडु के कोयंबटूर निवासी अरविंद चंद्रकांत कदम का बेस भी पड़ताल में सांगली का निकला है। इससे पूर्व अक्टूबर माह में नौ किलो सोने के साथ पकड़े गए दोनों तस्कर भी सांगली के थे। डीआरआइ मुंबई की टीम दोनों तस्करों को वाराणसी से दिल्ली ले गई थी। दो माह बाद फिर सोना तस्करी में सांगली के तस्करों के पकड़े जाने से खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हुए हैं।

विदेशी सोना था, गलाकर मिटा दी थी असली मुहर

सोना म्यांमार से तस्करी कर गुवाहाटी लाया गया था। सोने की विदेशी पहचान मिटाने के लिए तस्कर उसे गलाकर सिल्ली बना दिए थे। विदेश से भारत आए सोने पर लगी असली मुहर को मिटाने की कोशिश हुई थी। अरविंद ने अपनी कमर में 16 बिस्किट और अमित ने अपनी कमर में चार बिस्किट छुपाए थे। इस तरह कुल 20 बिस्किट दोनों के पास से बरामद हुए।

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