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शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है ‘सहजन’, त्वचा से लेकर लीवर रोग व कैंसर तक से लड़ने की क्षमता

सहजन (मोरिंगा ओलिफेरा) का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। इसमें पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।सामान्य रूप से सहजन की फली पत्तियां बीज का उपयोग खाने में किया जाता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Wed, 28 Apr 2021 05:30 PM (IST)
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सहजन (मोरिंगा ओलिफेरा) का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है।
भदोही, जेएनएन। मौजूदा समय में आसानी से सुलभ हो रहे सहजन (मोरिंगा ओलिफेरा) का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। इसमें पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। संतरे से सात गुना अधिक विटामिन सी तो गाजर से चार गुना ज्यादा विटामिन ए, दूध से चार गुना कैल्शियम और 2 गुना प्रोटीन जबकि केले से तीन गुना पोटैशियम, पालक से तीन गुना आयरन मिलता है। इसके अतिरिक्त कापर, जिंक जैसे अनेक मिनरल्स और विटामिन बी भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। सहजन में 46 एन्टीआक्सीडेंट, 36 दर्द निवारक तत्व, 18 अमिनो अम्ल तथा कई तरह के विटामिन भी पाएं जाते हैं

किसके लिए है लाभकारी

सहजन त्वचा, पोषण, लीवर, पाचन, सुजन, संधि वात, कैंसर आदि समस्याओं में काफी लाभदायक है। एंटीबायोटिक गुण के चलते पत्तियों से पेस्ट तैयार कर घाव भरने के लिए लगाया जाता है। बीज से निकले तेल को आर्थराइटिस दर्द से राहत के लिए लगाते हैं। फलियों में मधुमेह से लड़ने की क्षमता होती है तो छिलके से चर्म रोग का इलाज संभव हैं। इसके फली, फूल और जड़ों में भी उक्त सभी के गुण पाये जाते हैं।

कैसे करें प्रयोग

सामान्य रूप से सहजन की फली, पत्तियां, बीज का उपयोग खाने में किया जाता है। फलियों को सब्जी, सांभर, भुजिया के रूप में सेवन किया जाता है तो पत्तियों को सुखाकर, पाउडर बनाकर इसमें प्रोटीन चूर्ण, चीनी व जलजीरा चूर्ण मिलाकर प्रोटीनयुक्त स्वास्थ्यवर्द्धक शीतल पेय बनाया जा सकता है। पत्तियों व फली को सुखाकर प्रोटीन चूर्ण, मक्के का आटा, काली मिर्च व जीरा का चुर्ण मिलाकर प्रोटिनयुक्त सहजन सूप बनाकर सेवन किया जा सकता है।

- डा. एके चतुर्वेदी, उद्यान विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां

कम देखरेख और ढेरों फायदे

सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है । इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है। दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है। उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है। सर्दियां जाने के बाद फूलों की सब्जी बना कर खाई जाती है फिर फलियों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है।सहजन वृक्ष किसी भी भूमि पर पनप सकता है और कम देख-रेख की मांग करता है। इसके फूल, फली और टहनियों को अनेक उपयोग में लिया जा सकता है। भोजन के रूप में अत्यंत पौष्टिक है और इसमें औषधीय गुण हैं। इसमें पानी को शुद्ध करने के गुण भी मौजूद हैं। सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है और छाल पत्ती, गोंद, जड़ आदि से दवाएं तैयार की जाती हैं। सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में है। सहजन में दूध की तुलना में 4 गुना कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।

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