कोरोना संक्रमण के कारण ट्रेनों में सिमटा ऑनलाइन खाना, रेडी टू इट की यात्रियों में बढ़ी मांग
संक्रमण काल में रेडी टू इट आधारित खानपान को प्राथमिकता दी जा रही है। रेल सफर में ई- कैटरिंग से ज्यादा रेडी टू इट के ओर्डर मिल रहे हैं। कैटरिंग कर्मचारी के अनुसार पैकेट बंद भोजन के प्रति यात्रियों का झुकाव ज्यादा है।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Sat, 22 May 2021 04:00 PM (IST)
वाराणसी, जेएनएन। वैश्विक महामारी के झटके से अभी कमर सीधी भी नहीं हुई कि दूसरी लहर ने जनजीवन को अस्त- व्यस्त कर दिया। वहीं, भारतीय रेलवे की व्यवस्था भी बेपटरी हो गई। यहां हाल यह है कि करीब 11 महीने बाद इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) में शुरू ई-कैटरिंग सेवा पर फिर से ग्रहण लगने लगा है। संक्रमण बढऩे के साथ काम पर भी असर पड़ा। अब अनुबंधित रेस्टोरेंट संचालकों के कारोबार पर संकट खड़ा हो गया है।
फरवरी में आइआरसीटीसी ने स्थानीय रेस्टोरेंट के साथ अनुबंध कर भोजन के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सेवाएं शुरू कराईं। शुरुआत में 20 से 25 ऑर्डर प्रति संचालक को मिलने लगे। लेकिन, संक्रमण बढऩे के साथ ई-कैटरिंग सेवा को ग्रहण गया। यात्रियों की संख्या घटने से ऑर्डर में कमी आने लगी। इसका खामियाजा अनुबंधित रेस्टोरेंट संचालकों को भुगतना पड़ा। इसलिए अनुबंधित चार रेस्टोरेंट में तीन ने अस्थाई रूप से काम बंद कर दिया। एक रेस्टोरेंट बुकिंग पर आपूर्ति कर रहा है। संचालक का कहना है कि पूरे दिन में महज तीन या चार ऑर्डर ही मिल रहे हैं।
उधर, संक्रमणकाल में यात्री नहीं आने से प्लेटफार्म नंबर एक पर फूड प्लाजा भी बंद होने के कगार पर है। इससे साफ है कि कोरोना हर तरह के कारोबार पर गहरा असर डाल रहा है।
मन को भा रहा " रेडी टू इट"संक्रमण काल में " रेडी टू इट " आधारित खानपान को प्राथमिकता दी जा रही है। रेल सफर में ई- कैटरिंग से ज्यादा रेडी टू इट के ओर्डर मिल रहे हैं। कैटरिंग कर्मचारी के अनुसार पैकेट बंद भोजन के प्रति यात्रियों का झुकाव ज्यादा है। बस इसे गर्म पानी में घोलकर कुछ ही सेकेंड में खाने योग्य बनाया जाता है। हाइजेनिक होने के कारण यह यात्रियों को पसंद आ रहा है। इसकी तुलना में ई-कैटरिंग के ऑर्डर कम निकल रहे हैं।
मुख्यालय ने मांगी रिपोर्टस्टेशनों के टिकट बिक्री व बुकिंग की संख्या का सर्वे चल रहा है। मंडल मुख्यालय ने टिकट बिक्री व बुकिंग में जल्द रिपोर्ट मांगी है। सूचना के अनुसार, स्टेशनों पर संचालित स्टॉल का लाइसेंस फीस रेलवे टिकट बिक्री व बुकिंग के आधार पर तय करता है। वहीं, मुख्यालय स्तर पर एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों की उपयोगिता का आकलन किया जाता है। कोरोना का संक्रमण शुरू होने पर 2020 के अप्रैल महीने से अबतक मंडल रेलवे ने कई बार स्टेशनों पर टिकट बिक्री और बुकिंग का सर्वे कराने के साथ स्टॉल का लाइसेंस फीस कम व ज्यादा किया है। ट्रेनों को चलाने व बंद करने का निर्णय भी रेलवे टिकट बिक्री व बुकिंग के आधार पर करता है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।