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बेटे-बहू से प्रताड़ित बुजुर्ग दंपती को हाई कोर्ट के आदेश पर मिला अपना मकान, दिल पत्‍थर रखकर लिया था यह फैसला

Varanasi News उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक बुजुर्ग दंपती को उनके बहू और बेटे मिलकर मानसिक शारीरिक प्रताड़ना करते थे। इससे आजिज आकर उन्‍होंने कोर्ट का सहारा लिया और उन्‍हें हाई कोर्ट से न्‍याय मिला। वृद्ध दंपत्ती कभी गेस्ट हाउस तो कभी रिश्तेदारों के यहां शरण लेकर रहते थे।

By Ashok Singh Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 14 Jul 2024 11:37 AM (IST)
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पुलिस-प्रशासन ने बुजुर्ग दंपती को मकान वापस दिलायाl जागरण
जागरण संवाददाता, वाराणसी। भारतीय समाज में बेटा बुढ़ापे की लाठी तो बहू उस लाठी की मजबूती कही जाती है। अगर बेटे और बहू मिलकर मां-बाप को मानसिक शारीरिक प्रताड़ना देने लगे तो जीवन दूभर हो जाता है। कुछ ऐसी ही दास्तान है मंडुवाडीह निवासी दंपत्ती की। वर्षों की प्रताड़ना के बाद उन्होंने दिल पर पत्थर रख कोर्ट का सहारा लिया। अब हाई कोर्ट के आधार पर न्याय मिला।

गुजरात विद्यापीठ में प्रोफेसर डा. विनोद पांडेय का पत्नी तारा के नाम मंडुवाडीह क्षेत्र के भृगुनगर में मकान है। दोनों पति-पत्नी ने बेटों को पढ़ा-लिखाकर रोजगार दिलाने का भरसक प्रयास किया। डा. विनोद ने जागरण प्रतिनिधि को बताया कि भृगुनगर स्थित मकान में बेटा अजीत व उसकी पत्नी चंद्रकला रहते थे।

सेवानिवृत्त होकर जब वह यहां आए तो बेटे-बहू मकान नाम करने का दबाव बनाने लगे। वह तैयार नहीं हुए तो कभी रसोईघर तो कभी इनवर्टर, बाथरूम आदि बंद कर देते। पैर से तारा देवी के पेट में हमला कर दिया। अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। बेटे के प्रभाव में पुलिस से भी स्थाई राहत नहीं मिली।

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हालत यह हो गई कि जान बचाकर वृद्ध दंपत्ती कभी गेस्ट हाउस तो कभी रिश्तेदारों के यहां शरण लिए। डा. विनोद का कहना है कि जब भी लौटकर वापस अपने मकान में आते तो बेटे-बहू की प्रताड़ना और बढ़ जाती। प्रताड़ना की दास्तान बताते-बताते कई बार उनकी आखें नम हो गईं।

बोल नहीं पाते तो पत्नी ढांढस बधातीं और दास्तान बनाते लगतीं। कहा सपने में भी नहीं सोचा था ये दिन देखने को मिलेगा। आला अधिकारियों से थककर भरण-पोषण अधिकरण एसडीएम सदर के यहां पुत्र व बहू आदि की प्रताड़ना से निजात की गुहार लगाई।

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तत्कालीन एसडीएम जयदेव सीएस ने घर का मुआयना कर थानाध्यक्ष मंडुवाडीह को आदेश दिया कि सुनिश्चित करें कि बेटे-बहू कोई दुर्व्यवहार, मारपीट, अभद्रता न करें। पुलिस से बहुत राहत नहीं मिली। थक हारकर डा. विनोद ने हाई कोर्ट की शरण ली।

कोर्ट ने जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर और सीएमओ को टीम बनाकर बीते तीन जुलाई को रिपोर्ट मांगी। जांच के बाद जिलाधिकारी ने रिपोर्ट दिया कि रसोई पर पूरी तरह अजीत का कब्जा है। वह घर के अंदर अक्सर लड़ाई करते हैं। वरिष्ठ नागरिक पति-पत्नी को प्रवेश न मिलने के कारण दोनों का एक मकान में रहना उचित नहीं है। अत: विपक्षी अजीत और उसके परिवार द्वारा खाली किया जाना आवश्यक है।

अजीत ने छह माह में मकान खाली करने की बात कही। रिपोर्ट के बाद हाई कोर्ट ने नौ जुलाई को दोपहर एक बजे डीएम व सीपी को आदेश दिया कि शाम पांच बजे तक मकान खाली कराया जाए। पुलिस-प्रशासन ने बेटे-बहू से मकान खाली कराकर राहत दिलाई।

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