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भदोही जिले में हथिनी को सुपुर्दगी में तो रख लिया पर चारा तक नहीं खिला पा रहा है वन विभाग

भदोही जिले में हथिनी को सुपुर्दगी में तो रख लिया पर चारा तक वन विभाग नहीं खिला पा रहा है। वन विभाग की ओर से काफी प्रयास कर उसे अपनी सुपुर्दगी में रख तो लिया गया लेकिन विभाग उसका पेट भरने में खुद को अक्षम पा रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Fri, 27 May 2022 12:56 PM (IST)
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वन‍ विभाग की ओर से हाथी को रख तो लिया गया लेकिन उसके चारे का अभाव हो गया है।

भदोही, जागरण संवाददाता। ज्ञानपुर के बलभद्रपुर गांव से बुधवार को वन विभाग ने बगैर वारिस की हथिनी गुलाबी को सुपुर्दगी में तो ले लिया पर उसके चारा और दाना का इंतजाम विभाग नहीं कर पा रहा है। हथिनी को तीन दिन से केवल पीपल के पत्ते खिलाए जा रहे हैं। इससे उसकी सेहत पर असर पड़ रहा है। महावत और हथिनी का मालिक होने का दावा करने वाले धर्मेंद्र तिवारी ने कहा हाथी को हर रोज कम से कम दस किमी टहलाना जरूरी है। एक स्थान पर बंधे रहने के कारण वह कमजोर हो रही है।

कहा कि यदि वह एक बार बैठ गई तो उठा पाना मुश्किल होगा। वे अपने घर हथिनी को हर रोज 20 किलो धान या गेहूं, चरी व पीपल खिलाते थे। आरोप लगाया कि विभाग न अभी तक उसका मेडिकल चेकअप भी नहीं कराया है। हालांकि, वन विभाग का दावा है कि मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. जय सिंह की देखरेख में गुरुवार की देर शाम चिकित्सकों की देखरेख मे उसे घुमाया गया। वह चारा पानी ठीक से ले रही है। उसके स्वास्थ्य पर अभी विपरीत असर नहीं है।

वन विभाग सरपतहां ज्ञानपुर के नर्सरी परिसर में शुक्रवार को भी हथिनी गुलाबी पीपल के पेड़ से बंधी रही। उसके सामने पीपल की चार- पांच डाल काटकर फेंकी गई थी। महावत रंग बहादुर वहां मौजूद मिला। उसने कहा जो चारा उसे बलभद्रपुर यानि उसके मालिक के यहां मिलता था वह यहां नहीं मिल पा रहा है। हथिनी को रोज 20 किलो धान या गेहूं खिलाया जाता था। उसके लिए दो बीघा चरी बोई गई है, हरा चारा वह खाती थी। पर यहां केवल पीपल के पत्ते ही खिलाए जा रहे हैं। तीन दिन से एक ही स्थान पर यह बंधी है, इसे टहलाया नहीं जा रहा है। जिस स्थान पर हथिनी बंधी है वहां गंदगी है, पानी का भी इंतजाम नहीं है।

उधर हथिनी मालिक धर्मेंद्र तिवारी ने विभागीय अधिकारियों को अपने कागजात दिखाए हैं। उसने गांव हाटा, थाना हाटा, जनपद कुशीनगर के कृष्णबिहारी वर्मा से इसे पांच नवंबर 2002 को खरीदा है। उस समय इसकी उम्र 19 वर्ष थी। उसने बेचीनामा भी दिखाया। कृष्ण बिहारी ने इसे तीन दिसंबर 2001 को सोनपुर सीतामढ़ी बिहार मेले से खरीदा था। उसने वहां की रसीद भी प्रस्तुत की। कृष्ण बिहारी ने वे कागजात भी दिखाए जहां से सोनपुर मेले में हथिनी आई और बेची गई। उसने ग्राम टेकालोंग, बैरागिहाणी गांव थाना सोलरी, जिला शिवसागर, आसाम निवासी टेका लहन से इसे खरीदा था। हथिनी को आसाम से पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी, जयपुर तक सड़क मार्ग से लाने के लिए वन संरक्षक पूर्वी क्षेत्र जोरहट आसाम का सर्टिफिकेट भी मिला है।

फंसता जा रहा वन विभाग : वन विभाग अपनी ही कार्रवाई में फंसता नजर आ रहा है। कारण हथिनी मालिक धर्मेंद्र तिवारी ने वह सारे कागजात प्रस्तुत कर दिए हैं जिससे उसका मालिकाना हक मजबूत होता दिख रहा है। हालांकि, मामला सीजेएम कोर्ट में है इसलिए न्यायालय के आदेश का इंतजार है। विभाग के रेंजर रिचेश मिश्र का कहना है कि न्यायालय का फैसला होने तक वह सुपुर्दगी में रहेगी। शैलेश तिवारी उर्फ मोने पर भी हाथी खरीदने का मामला है, उसकी विभागीय जांच की जा रही है।

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