वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में ढूंढा जाएगा मंदिर का प्रमाण, जरूरत पर एएसआइ करेगा खोदाई
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में अब मंदिर का प्रमाण ढूंढा जाएगा। जरूरत पडऩे पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआइ) संबंधित स्थल में खोदाई भी कराएगा। सर्वे में पुरातात्विक सर्वेक्षण के पांच विख्यात पुराविदों को शामिल करने को कहा है।मामले की अगली सुनवाई 31 मई को होगी।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 09 Apr 2021 02:40 AM (IST)
वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में अब मंदिर का प्रमाण ढूंढा जाएगा। जरूरत पडऩे पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआइ) संबंधित स्थल में खोदाई भी कराएगा। गुरुवार को वाराणसी की सिविल अदालत ने उप्र सरकार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है। सर्वे में पुरातात्विक सर्वेक्षण के पांच विख्यात पुराविदों को शामिल करने को कहा है। इस कमेटी में दो सदस्य मुस्लिम समुदाय के होंगे। कमेटी सर्वे स्थल की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी।
मामले की अगली सुनवाई 31 मई को होगी। अदालत ने कहा है कि पुरातात्विक सर्वे का मुख्य उद्देश्य यह है कि उक्त स्थल पर धार्मिक ढांचा किसी अन्य धार्मिक निर्माण पर अवलंबित तो नहीं है और पुरावशेष में क्या परिवर्तन या संवर्धन किया गया है? यदि ऐसा है तो उसकी निश्चित अवधि, आकार, वास्तुशिल्पीय डिजाइन और बनावट विवादित स्थल पर वर्तमान में किस रूप में है? कमेटी इसकी भी खोज करेगी कि विवादित स्थल पर क्या कभी हिंदू समुदाय का कोई मंदिर कभी रहा जिस पर आलोच्य मस्जिद बनाई गई या अध्यारोपित की गई। यदि हां, तो उसकी निश्चित अवधि, आकार, वास्तुशिल्पीय डिजाइन और बनावट के विवरण के साथ किस हिंदू देवता अथवा देवतागण को समॢपत था, इसके भी साक्ष्य जुटाए जाएं। कोर्ट के इस फैसले पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने कहा है कि फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
हाई कोर्ट में भी सुरक्षित है फैसला : ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार आदि को लेकर 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास, हरिहर पांडेय आदि ने मुकदमा दायर किया था। इस मुकदमे की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक में चल रही है। इसी मुकदमे की पोषणीयता को लेकर हाई कोर्ट में भी सुनवाई लंबित है। दोनों पक्षकारों की बहस पूरी हो चुकी है और हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।