मीठी क्रांति से जुड़ेंगे किसान, बलिया में मधुमक्खी पालन के चार उद्योग के लिए आया लक्ष्य
शहद उत्पादन को मीठी क्रांति से किसानों जोड़ने की पहल होगी। सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए खेती से जुड़े उद्यमों को प्रोत्साहन दे रही है। । जिला उद्यान अधिकारी नेपाल राम ने बताया कि जिले में इस साल चार मधुमक्खी पालन उद्योग का लक्ष्य आया है।
जागरण संवाददाता, बलिया : भूमिहीन किसानों के लिए मधुमक्खी पालन वरदान साबित हो सकता है। शहद उत्पादन को मीठी क्रांति से किसानों जोड़ने की पहल होगी। प्रसंस्करण संयंत्रों तक शहद का परिवहन छोटे किसानों और मधुमक्खी पालकों के लिए एक महंगी गतिविधि है।
उच्च परिवहन और प्रसंस्करण लागत से बचने के लिए अधिकांश मधुमक्खी पालक अपने कच्चे शहद को बहुत कम कीमत पर एजेंटों को बेच देते हैं। जबकि अच्छी गुणवत्ता वाले शहद की मांग पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रही है। इसे प्राकृतिक रूप से पौष्टिक उत्पाद माना जाता है। मधुमक्खी पालन उत्पादों में रायल जेली, मोम, पराग आदि का भी विभिन्न क्षेत्रों भोजन, पेय, सौंदर्य और अन्य में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए खेती से जुड़े उद्यमों को प्रोत्साहन दे रही है।
शहद की घरेलू व निर्यात मांग होने से इस क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं हैं। शहद उत्पादन की आधुनिक टेक्नोलाजी के उपयोग के साथ किसानों को इसमें काफी सहूलियत होगी। मधुमक्खी पालन एक ऐसा साधन साबित होगा, जिससे गरीबी उन्मूलन में मदद मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। जिला उद्यान अधिकारी नेपाल राम ने बताया कि जिले में इस साल चार मधुमक्खी पालन उद्योग का लक्ष्य आया है। मधुमक्खी का एक उद्योग लगाने पर 2.20 लाख आएगा खर्च। ऋण लेने पर भी 10 फीसद खुद से लगाना है। इसमें 90 फीसद बैंक से लोन मिलेगा। इसके बाद सरकार प्रति उद्योग 35 फीसद यानि 88 हजार अनुदान देगी।