Flyover Accident : चीख-पुकार से सहम उठी थी काशी, चंद सिक्कों का खेल जान पर भारी
आज से एक साल पहले महादेव की नगरी काशी 15 लोगों की मौत से सिहर उठी थी।
By Edited By: Updated: Wed, 15 May 2019 01:17 AM (IST)
वाराणसी, जेएनएन। आज से एक साल पहले महादेव की नगरी काशी 15 लोगों की मौत से सिहर उठी थी। शाम पांच बजे जब निर्माणाधीन फ्लाईओवर की बीम नीचे गिरी तो दर्जनों गाड़ियां उसके नीचे दब गई। हर तरफ बस चीख-पुकार ही सुनाई दे रही थी। जिसने सुना वो मदद के लिए दौड़ा आया। सेतु निगम, यातायात विभाग और लोकल पुलिस की लापरवाही ने 15 लोगों की जान ले ली। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ।
आननफानन में जांच कमेटी बैठी। क्राइम ब्रांच ने सेतु निगम के आरोपित अफसरों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाकर इतिश्री कर ली। सिगरा पुलिस हो या फिर ट्रैफिक के जिम्मेदार लोगों से पूछताछ तक नहीं की गई कि कैसे निर्माणाधीन फ्लाईओवर के नीचे आवागमन शुरू था। हालांकि तब की तस्वीर और आज के हालात में अनदेखी से इतर कुछ नहीं हैं। आज भी यहां एक साल पहले की वही सड़क, सड़कों पर दौड़ रहा बेतरतीब ट्रैफिक और इन सबके बीच फ्लाइओवर निर्माण में जुटा वही लापरवाह सेतु निगम और उनके अफसर हैं। इस लापरवाही में उनके साथ पुलिस और यातायात महकमा बराबर का भागीदार बना है। निर्माणाधीन फ्लाईओवर के नीचे आज भी ठेले-खोमचे लग रहे। अवैध कमाई के चक्कर में वाहनों की लंबी कतारें आज भी निर्माणाधीन फ्लाईओवर के नीचे देखी जा सकती है। निर्माण में लगी मशीनें संकरे रास्ते से गुजर रही है। इन मशीनों के साथ गरीब साइकिल सवार, बाहर से काशी आए लोग आटो रिक्शा में और घर से खाना लेकर कार्यालय जाने वाले लोग। मजदूर यहीं बने पिलर के ऊपर निर्माण कार्य कर रहे हैं।
रिहा होती ही थमाई चार्जशीट : हादसे के बाद सेतु निगम के अफसरों को अपनी गिरफ्तारी का एहसास भी नहीं था लेकिन क्राइम ब्रांच की जांच ने उन्हें जेल पहुंचाया। जब कुछ दिन पूर्व बड़ी मुश्किलों से जेल से छूटने के बाद उन्हें चार्जशीट का सामना करना पड़ गया। हाल ही में जेल से जमानत पर छूट कर आए अफसरों के घर पहुंचते ही सेतु निगम व लखनऊ में गठित उच्च स्तरीय जांच समिति ने चार्जशीट थमा दी। आरोप पत्र मिलने के 15 दिनों में अपनी सफाई देने के निर्देश दिए गए हैं। तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति जिसके प्रमुख कृषि उत्पादन आयुक्त राज प्रताप सिंह, प्रबंध निदेशक जल निगम राजेश मित्तल और सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता भूपेंद्र शर्मा द्वारा रिपोर्ट सौंप दी है।
न गुणवत्ता ठीक, न डिजाइन पास बस बन रहा था फ्लाइओवर रिपोर्ट में जिन बिंदुओं पर लापरवाही पाई गई उसमें बिना अनुमोदन के डिजाइन पर काम किया जाना प्रमुख था। इसके अलावा साइट अधिकारियों के पास गुणवत्ता से संबंधित रिकार्ड नहीं था। हादसे में सबसे बड़ा कारण गिरने वाले बीम को क्रास बीम से न बांधना रिपोर्ट में बताया गया है। इसके अलावा बीमों के बीच में किस अनुपात में कंक्रीट की मिक्सिंग की गई थी उसकी कोई जानकारी साइट से नहीं मिली। इस मामले में तत्कालीन सेतु निगम के एमडी राजन मित्तल, मुख्य परियोजना प्रबंधक एचसी तिवारी, हीरालाल मुख्य परियोजना प्रबंधक, केआर सूदन परियोजना प्रबंधक, राजेंद्र सिंह सहायक अभियंता और अवर अभियंता लालचंद और राजेश पाल को आरोप पत्र जारी किया गया है।तीन माह तक नहीं मिले मजदूर बीते वर्ष 15 मई को बीम गिरने के डर के कारण मजदूरों की कमी से लेकर मशीनों का टोटा हो गया था। जहां वर्तमान में 100 के लगभग मजदूर काम कर रहे हैं। वहीं हादसे के तीन माह बाद तक 20-30 मजदूर ही थे।
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