वाराणसी में आइआइवीआर की चार नई प्रजाति को हरी झंडी, केंद्रीय किस्म विमोचन समिति ने की जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में स्थित देश के एकमात्र भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आइआइवीआर) ने सब्जियों की चार नई प्रजातियां विकसित की है जिसे केंद्रीय किस्म विमोचन समिति ने हरी झंडी दिखाते हुए जारी किया है।
By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Sun, 08 Aug 2021 11:31 AM (IST)
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में स्थित देश के एकमात्र भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आइआइवीआर) ने सब्जियों की चार नई प्रजातियां विकसित की है, जिसे केंद्रीय किस्म विमोचन समिति ने हरी झंडी दिखाते हुए जारी किया है। इसमें संस्थान में विकसित फ्रेंच बीन को काशी बैंगनी, मूली काे काशी आद्रा, टमाटर को काशी चयन व बैंगन को काशी विजय नाम दिया गया है। इसके साथ ही देश की अन्य 18 प्रजातियों को अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना द्वारा संस्तुति दी गई है, जिसमें नौ काशी की ही है। अगले साल इन्हें जारी किए जाने की उम्मीद है। इस संस्थान में चल रहे नए शोध, किसानों तक गुणवत्तायुक्त एवं रोगों से प्रतिरोधी प्रजातियों के संबंध में बता रहे हैं संस्थान के नवागत निदेशक प्रो. तुषार कांति बेहेरा।
आपके संस्थान की ओर से कौन से सब्जी की नई प्रजाति पर शोध चल रहा है?
- फिलहाल यहां पर नौ प्रजातियों पर शोध लगभग पूर्ण कर लिया गया है। इसे अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना से संस्तुति भी मिल गई है। हालांकि इसका अभी देश के विभिन्न हिस्सों में रिव्यू होना है।
ये नौ प्रजातियां कौन-कौन सी हैं जिन्हें संस्तुति मिली है?- बैंगन (गोल), बैंगन (लंबा), लोबिया (झाड़ीनुमा), गाजर (उष्णकटियबंधीय), दो प्रकार की डोलिकोस सेम (झाड़ीनुमा), फ्रेंस बीन (झाड़ीनुमा), कद्दू, नेनुआ। इसके अलावा काशी विजय बैंगन, काशी चयन टमाटर, काशी बैंगनी फ्रेंच बीन, काशी आद्रा मूली विकसित की गई है।
इन प्रजातियों का क्षेत्र कौन-कौन सा होगा, जहां पर इनकी पैदावार बेहतर हो सके?-उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, पंजाब, महाराष्ठ, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, केरल, पुड्डुचेरी, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, ओडिसा, आंध्र प्रदेश।काशी के इस संस्थान में पदभार ग्रहण करने के बाद आपका लक्ष्य क्या रहेगा?
- इस संस्थान द्वारा विकसित प्रजातियां एवं उत्पादन तकनीकी को देश के किसानों द्वारा बहुतायत में अपनाया जा रहा है। आगे भी आधुनिक तकनीक जैसे- जीनोमिक, क्रिस्परकैश, मालीकुलर मार्कर आदि का प्रयोग करते हुए गुणवत्तायुक्त एवं रोगों से प्रतिरोधी प्रजातियों को विकसित करना प्राथमिकता होगी।जलवायु परिवर्तन की मार अक्सर ही किसानों को झेलनी पड़ती है। हर मौसम के अनुकूल सब्जी की प्रजाति विकसित करने पर क्या करेंगे?
- बदलते मौसम के परिवेश में सब्जी की पैदावार बढ़ाना, साल भर सब्जी की उपलब्धता, तुड़ाई उपरान्त उचित प्रबंधन, संरक्षित खेती, निर्यात हेतु सब्जियों का विकास, कार्बनिक खेती तथा अधिक तापमान एवं कम पानी में सब्जियों का उत्पादन करने पर शोध तेज होगा। साथ ही इन तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने का निरंतर प्रयास किया जाएगा।
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