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श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी, दर्शन-पूजन के लिए लोग करने लगे थे ऑनलाइन बुकिंग

उत्‍तर-प्रदेश के वाराणसी में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी करने का मामला सामने आया है। इससे हड़कंप मच गया। बता दें कि श्रीकाशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए सालभर बड़ी संख्या में देश-विदेश के श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। जो नहीं आ पाते हैं वे ऑनलाइन सुविधा का इस्तेमाल करते हैं।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 20 Jul 2024 03:33 PM (IST)
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फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। जागरण (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

 जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी का मामला सामने आया है। इसके जरिए सैकड़ों लोगों से दस लाख रुपये से अधिक की ठगी की आशंका है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण ने इस मामले की शिकायत पुलिस से की है।

नव्य-भव्य धाम के निर्माण के बाद से श्रीकाशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए सालभर बड़ी संख्या में देश-विदेश के श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। कुछ यहां आकर दर्शन-पूजन की व्यवस्था करते हैं तो कई आनइलाइन सुविधा का इस्तेमाल करते हैं।

सावन के मौके पर भक्तों की आने वाली भीड़ को देखते हुए साइबर ठग काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाकर सुगम दर्शन, पूजन, रुद्राभिषेक समेत आरती की बुकिंग कर रहे हैं। जबकि मंदिर की असली वेबसाइट पर सावन माह में सुगम दर्शन आदि के टिकट की बुकिंग बंद है।

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मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि कुछ दिनों पहले एक शिकायत मिली थी जिसमें बताया गया था कि एक वेबसाइट ‘घर मंदिर डाट इन’ पर डेढ़ सौ रुपये में वाराणसी स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दुग्धाभिषेक कराने का दावा किया गया है। इसी दौरान ‘काशी विश्वनाथ डाट इन’ समेत अन्य फर्जी वेबसाइट की जानकारी मिली।

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इन फर्जी वेबसाइट पर तरह-तरह की सुविधा दिलाने का दावा किया जा रहा है। इसकी जानकारी डीसीपी सुरक्षा सूर्यकांत त्रिपाठी को भी दी गई। उन्होंने पुलिस कमिश्नर को इससे अवगत कराया। मामले की जांच साइबर क्राइम थाना कर रहा है।

मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि फर्जी वेबसाइट के जरिए कितने लोगों के साथ और कितने रुपयों ठगी की गई इसका सटीक विवरण फिलहाल दे पाना मुश्किल है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की वेबसाइट की पहचान है कि उसके अंत में ‘डाट ओआरजी’ है जबकि देखने में आया कि फर्जी वेब साइट के अंत में ‘डाट इन’ है। उनका कहना है कि इसके बावजूद असली-नसली वेबसाइट की पहचान काफी कठिन है।