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काशी में गोस्‍वामी तुलसीदास का अखाड़ा जहां 450 साल बाद लड़कियों ने शुरू की पहलवानी, दांव पेंच में आधी दुनिया ने बनाया दबदबा

Tulsi Akhada Varanasi वर्ष 2017 में संकट मोचन मंदिर ट्रस्ट ने अखाड़े की इस परंपरा को बदला और लड़कियां भी कुश्ती के दांव-पेंच सीखने के लिए पहुंचीं तो अखाड़े का यह रुख देश दुनिया में चर्चा में आ गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 22 Jul 2022 09:44 PM (IST)
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गोस्‍वामी तुलसीदास का अखाड़ा जहां 450 साल बाद लड़कियों ने ठोंकी ताल।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। भगवान शिव की नगरी काशी को गोस्‍वामी तुलसीदास ने अपना ठौर बनाया तो परंपराओं की बुनियाद भी रखी थी। इसी कड़ी में गोस्‍वामी तुलसीदास का अखाड़ा वर्ष 2016 में उस समय चर्चा में आ गया था जब यहां पुरुषों का वर्चस्‍व तोड़ कर आधी दुनिया ने अखाड़े में ताल ठोंकी और जय श्री राम का उद्घोष कर युवतियों और किशोरियों ने पटखनी देकर अखाड़े का नाम देश भर में चर्चा में ला दिया था। पांच साल बाद इन दिनों सावन में दोबारा दांव पेंच सीखने और सिखाने के लिए कोच ही नहीं महिला खिलाड़ी इन दिनों आपस में नूरा कुश्‍ती करती नजर आ रही हैं। 

तुलसीदास के इस अखाड़े की परंपरा रही है कि यहां जय श्रीराम के उद्घोष के साथ पिछले करीब 450 सालों से पुरुष पहलवानी में दांव पेंच आजमाते रहे। वर्ष 2017 में संकट मोचन मंदिर ट्रस्ट ने अखाड़े की इस परंपरा को बदला और लड़कियां भी कुश्ती के दांव-पेंच सीखने के लिए पहुंचीं तो अखाड़े का यह रुख देश दुनिया में चर्चा में आ गया। परंपराओं के अखाड़े में नागपंचमी के दिन अब लड़कियों की कुश्‍ती भी खूब चर्चा में रहती है। वर्ष 2017 में पहली बार नागपंचमी के दिन लड़कियों को इस अखाडे़ में कुश्ती के अखाड़े में उतरने की अनुमति मिली जो आज भी जारी है। उसी वर्ष दीपावली के मौके पर अखाड़े में महिलाओं की कुश्ती का प्रदर्शन कर रियाज भी साधा गया।

2017 में तुलसी अखाड़े में कुश्ती की कलाबाजियां सीखने में पहलवान नंदिनी भी थीं। उनके अनुसार कोच सुरेंद्र यादव और गोरखनाथ यादव ने महंत विशम्भरनाथ मिश्र से बात की और राजी किया। वर्ष 2017 में नंदनी के साथ आस्था वर्मा भी यहां प्रैक्टिस करने पहुंचीं। बड़ी बात यह भी थी कि दोनों ही राज्‍य स्‍तरीय खिलाड़ी रही हैं। आस्था ने भी मैट प्रैक्टिस से अलग अखाड़े की माटी में दांव पेंच को आजमाने को बेहतर प्रयास के लिए बड़ा कदम बताया था।

अब इस घटना को पांच साल बीत चुके हैं और दर्जनों महिला खिलाड़‍ियों ने राज्‍य और देश स्‍तर पर बड़ी प्रतियोगिताओं में इस अखाड़े की माटी का मान रखा तो तुलसी अखाड़ा इस बार भी सावन में नाग पंचमी के लिए महिला खिला‍ड़‍ियों की प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए इन दिनों अखाड़ा दोबार सजकर तैयार है।

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