Move to Jagran APP

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी के सभी सात मुकदमे हाई कोर्ट स्थानांतरित करने की अपील, 19 अक्टूबर को सुनवाई

ज्ञानवापी प्रकरण में जिला जज की अदालत में लंबित सभी सात मुकदमों को हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की अपील की गई। वकील विष्णु शंकर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका का हवाला देते हुए यह मांग की। उनका कहना है कि ज्ञानवापी से जुड़े मामले भी श्रीराम जन्मभूमि और श्रीकृष्ण जन्मभूमि की तरह अत्यंत संवेदनशील हैं इसलिए इनकी सुनवाई हाई कोर्ट में होनी चाहिए।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 06 Oct 2024 08:17 AM (IST)
Hero Image
शृंगार गौरी और इसके साथ संबद्ध छह अन्य मुकदमे हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की अपील की गई। जागरण
 विधि संवाददाता, जागरण, वाराणसी। ज्ञानवापी स्थित मां शृंगार गौरी के नियमित पूजा-पाठ की अनुमति देने को लेकर जिला जज संजीव पांडेय की अदालत में लंबित मुकदमे की सुनवाई शनिवार को हुई। इस दौरान वकील विष्णु शंकर जैन ने जिला जज की अदालत में लंबित शृंगार गौरी और इसके साथ संबद्ध छह अन्य मुकदमे हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की अपील करते हुए इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका की जानकारी भी दी।

उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि की तरह ज्ञानवापी से जुड़े मामले भी अत्यंत संवेदनशील हैं। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए श्रीराम जन्मभूमि के मुकदमों की सुनवाई हाई कोर्ट में की गई थी। अब मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण की सुनवाई भी वहीं चल रही है।

ऐसे में ज्ञानवापी से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई जिला जज की अदालत से हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दी जाए। ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण व हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर 1991 में दाखिल मुकदमे के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने पहले ही जिला जज की अदालत में चल रहे ज्ञानवापी के मुकदमों की सुनवाई हाई कोर्ट में कराने का निवेदन करते हुए याचिका दायर की है।

इसे भी पढ़ें-झांसी में डांडिया कार्यक्रम में हंगामा, 31 हिरासत में; कानपुर में भी मारपीट का वीडियो वायरल

ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंपने, वहां मिले शिवलिंग की पूजा-पाठ की अनुमति देने और इसमें बाधा डालने वालों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग को लेकर भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान की ओर से किरण सिंह एवं अन्य द्वारा दाखिल मुकदमे की सुनवाई भी जिला जज की अदालत में हुई।

मुकदमे के वादी विकास शाह व विद्या चंद की ओर से कहा गया कि मूलवाद और उसके खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई जिला जज की अदालत में एक साथ नहीं हो सकती। इसलिए मूलवाद को संबंधित न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए अथवा पुनरीक्षण याचिका निरस्त कर दी जाए।

उन्होंने इस संबंध में हाई कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका भी प्रस्तुत की। मूल वाद को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनवाई योग्य माना था। इस फैसले के खिलाफ अंजुमन ने जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की है। अदालत ने दोनों मामलों की सुनवाई की अगली तारीख 19 अक्टूबर दे दी है।

इसे भी पढ़ें-गाजीपुर में महिलाओं का यौन शोषण व मतांतरण करने वाले मौलवी पर मुकदमा

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।