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ज्ञानवापी प्रकरण: एएसआई ने नहीं समझी खोदाई की आवश्यकता, कल होगी सुनवाई

ज्ञानवापी प्रकरण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने खुदाई की आवश्यकता नहीं समझी है। मंगलवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) युगुल शंभू की अदालत में सुनवाई के दौरान एएसआई ने अपना पक्ष रखा। प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने कहा कि एएसआई ने सर्वे के दौरान ज्ञानवापी में खोदाई की जरूरत नहीं समझी इसलिए इस संबंध में कोर्ट में कोई प्रार्थना पत्र भी नहीं दिया था।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 09 Oct 2024 10:49 AM (IST)
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ज्ञानवापी मामले में कोर्ट में चल रही है सुनवाई। जागरण

 विधि संवाददाता, जागरण, वाराणसी। ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर 1991 में दाखिल मुकदमे की सुनवाई मंगलवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) युगुल शंभू की अदालत में हुई।

स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर से स्व. पं. सोमनाथ व्यास, डा. रामरंग शर्मा व पं. हरिहर नाथ पांडेय द्वारा दाखिल मुकदमे के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से ज्ञानवापी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) से अतिरिक्त सर्वे कराने के प्रार्थना पत्र पर प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने अपना पक्ष रखा।

उसकी ओर से कहा गया कि एएसआई ने सर्वे के दौरान ज्ञानवापी में खोदाई की जरूरत नहीं समझी, इसलिए इस संबंध में कोर्ट में कोई प्रार्थना पत्र भी नहीं दिया था। मामले में प्रतिवादी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पहले ही अदालत में अपना पक्ष रख चुका है। दोनों प्रतिवादियों की ओर से उठाए गए बिंदुओं का जवाब देने के लिए वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने अदालत से अवसर मांगा।

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कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 10 अक्टूबर तय की है। अंजुमन इंतेजामिया के वकील मुमताज अहमद ने कोर्ट में कहा कि ज्ञानवापी में सर्वे के अदालत के आदेश पर एएसआई के डिप्टी डायरेक्टर आलोक त्रिपाठी ने हाई कोर्ट में शपथपत्र दाखिल की थी कि किसी तोड़फोड़ और खोदाई के बिना जीपीआर सिस्टम से सर्वे करके रिपोर्ट दी जा सकती है।

आवश्यकता हुई तो खोदाई की हाई कोर्ट से अनुमति लेंगे। हालांकि एएसआइ ने इसके लिए किसी भी अदालत में कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया और सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर दी। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत ने आठ अप्रैल 2021 के अपने आदेश में ज्ञानवापी के आराजी नंबर 9130 के सर्वे का आदेश दिया था।

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वादमित्र ने अपने प्रार्थना पत्र में आराजी नंबर 9130 के साथ आराजी नंबर 9131 और 9132 के सर्वे के लिए निवेदन किया है। हाई कोर्ट के 19 दिसंबर 2023 के आदेश के अनुसार वादी पक्ष को प्रार्थना पत्र नहीं देना था, बल्कि अदालत को देखना था कि एएसआइ से पुनः सर्वे कराने की आवश्यकता है या नहीं। एएसआइ ने आराजी नंबर 9130 का संपूर्ण सर्वे किया है।

उसकी फोटोग्राफी, नाप-जोख सभी समेत सभी कार्यवाही पूरी की जा चुकी है। ऐसे में एएसआइ से अतिरिक्त सर्वे कराने का प्रार्थना पत्र स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वादमित्र ने मुकदमा हाई कोर्ट स्थानांतरित करने की याचिका दायर की है।

हाई कोर्ट का याचिका पर जब तक कोई आदेश नहीं आता, अतिरिक्त सर्वे कराने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई स्थगित की जाए। वादमित्र ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है।

अंजुमन इंतेजामिया पर लगा तीन सौ रुपये हर्जाना

ज्ञानवापी से जुड़े विवेक सोनी व जयध्वज श्रीवास्तव द्वारा दाखिल वाद में अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद पर 300 रुपये का हर्जाना लगाया है। उनकी ओर से इस आशय का स्थगन प्रार्थना पत्र दिया गया कि कहा कि उनके वकील मुकदमे की तैयारी नहीं कर सके हैं, इसलिए कोई अगली तारीख दी जाए। इस पर वादी पक्ष के वकील देशरत्न श्रीवास्तव व नित्यानन्द राय ने आपत्ति की।

सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद पर 300 रुपये का हर्जाना लगाते हुए अगली सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर तारीख दी है। बजरडीहा भेलुपुर के विवेक सोनी व चितईपुर के जयध्वज श्रीवास्तव ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में 25 मई 2022 को याचिका दाखिल किया था।

गुहार लगाई थी कि नंदीजी की मूर्ती के सामने स्थित आदि ज्योतिर्लिंग श्रीकाशी विश्वनाथ जिसे कूप बनाकर ढक दिया गया है के पूजा-पाठ, भोग प्रसाद, शयन आरती,मंगला आरती दुग्धाभिषेक आदि कार्य में विधि विरूद्ध तरीके से अवरोध डालने वालों को रोका जाए।

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