Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर में 'वजूखाने' का सर्वे कराने को लेकर पूरी हुई सुनवाई, जिला जज कल सुनाएंगे आदेश

Gyanvapi Case ज्ञानवापी के वजूखाने में स्थित शिवलिंग को छोड़ पूरे वजूखाने का सर्वे कराने की वादिनी राखी सिंह की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर गुरुवार को बहस पूरी हो गई। अधिवक्ता सौरभ तिवारी द्वारा दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश पर वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का वैज्ञानिक विधि एवं सुरक्षित तरीके से सर्वे किया जा रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Fri, 20 Oct 2023 06:45 AM (IST)
Hero Image
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर में 'वजूखाने' का सर्वे कराने को लेकर पूरी हुई सुनवाई, जिला जज कल सुनाएंगे आदेश

जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी के वजूखाने में स्थित शिवलिंग को छोड़ पूरे वजूखाने का सर्वे कराने की वादिनी राखी सिंह की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर गुरुवार को बहस पूरी हो गई। जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने पक्षकारों की बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित करते हुए 21 अक्टूबर की तिथि नियत कर दी।

ज्ञानवापी से जुड़े मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन मुकदमे की पांच वादिनियों में से एक राखी सिंह की ओर से अधिवक्ता सौरभ तिवारी, मान बहादुर सिंह व अनुपम द्विवेदी ने 29 अगस्त 2023 को जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दायर किया था। अधिवक्ता सौरभ तिवारी द्वारा दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश पर वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का वैज्ञानिक विधि एवं सुरक्षित तरीके से सर्वे किया जा रहा है।

पूरे वुजूखाने में किया जाए सर्वे

सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई 2022 के आदेश में वजूखाने को संरक्षित व सुरक्षित रखने को कहा है न कि सील करने को। ऐसे में वर्तमान में जारी एएसआइ सर्वे से सुप्रीम कोर्ट का आदेश कतई प्रभावित नहीं होता है। ज्ञानवापी परिसर का धार्मिक स्वरुप निर्धारित करने के लिए एएसआइ सर्वे नितांत आवश्यक है। वुजूखाना स्थित शिवलिंग को छोड़ पूरे वजूखाने का सर्वे कराने का एएसआइ को आदेश दिया जाए।

यह भी पढ़ें- Chakbandi In UP: यूपी के इन जिलों में AI और ड्रोन की मदद से होगी चकबंदी, ऑनलाइन मिलेगी पूरी जानकारी

इस प्रार्थना पत्र पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से आपत्ति की गई थी। अधिवक्ता मोहम्मद तौहीद खान, एखलाक अहमद व रईस अहमद ने दलील दी कि मुकदमे की सुनवाई को विलंबित करने के उद्देश्य से यह प्रार्थना पत्र दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उस हिस्से (विवादित क्षेत्र वुजूखाना सहित) को पूर्णरूपेण संरक्षित रखा जाए और इसकी जिम्मेदारी जिलाधिकारी को दी है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का किया जा रहा उल्लंघन

राखी सिंह से पहले अन्य चार वादिनियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए कथित विवादित स्थल (वजूखाना) को छोड़कर एएसआइ सर्वे का प्रार्थना पत्र दिया था किन्तु वादिनी राखी सिंह द्वारा अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है।

आकृति के स्वरुप का अभी निर्धारण नहीं हुआ है कि वह कथित शिवलिंग है अथवा फव्वारा है। राखी सिंह ने अपने प्रार्थना पत्र में एएसआइ को भी पक्षकार बनाया है, इस आधार पर भी वादिनी का प्रार्थना पत्र पोषणीय नहीं है।