Gyanvapi Case : मुकदमे में पक्षकार बनाने के प्रार्थना पत्र पर बहस पूरी, 4 नवंबर को कोर्ट सुनाएगा फैसला
1991 में स्व. पं. सोमनाथ व्यास रासरंग शर्मा हरिहर पांडेय की ओर से दाखिल इस मुकदमे में पक्षकार बनाए जाने के लिए दिवंगत हरिहर पांडेय के बेटों प्रणय कुमार पांडेय व कर्ण शंकर पांडेय ने पक्षकार बनने के लिए सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत ने बीते 28 फरवरी 2024 को प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया था।
विधि संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर वर्ष 1991 में दाखिल मुकदमे में पक्षकार बनने को लेकर दाखिल पक्ष पुनरीक्षण याचिका पर शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश (आवश्यक वस्तु अधिनियम) मनोज कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील और मुकदमे के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की बहस पूरी होने पर अदालत ने आदेश के लिए चार नवंबर की तिथि मुकर्रर कर दी।
साल 1991 में दिया गया था कोर्ट में प्रार्थना पत्र
वर्ष 1991 में स्व. पं. सोमनाथ व्यास, रासरंग शर्मा, हरिहर पांडेय की ओर से दाखिल इस मुकदमे में पक्षकार बनाए जाने के लिए दिवंगत हरिहर पांडेय के बेटों प्रणय कुमार पांडेय व कर्ण शंकर पांडेय ने पक्षकार बनने के लिए सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत ने बीते 28 फरवरी 2024 को प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया था।
विजय शंकर रस्तोगी द्वारा की गई थी आपत्ति
इसके बाद प्रणय व कर्ण की ओर से जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई जिसकी सुनवाई विशेष न्यायाधीश (आवश्यक वस्तु अधिनियम) की अदालत में चल रही है। इस प्रार्थना पत्र पर मुकदमे के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी द्वारा आपत्ति की गई। उनकी बहस पूरी होने के बाद याचिकाकर्ता प्रणय व कर्ण शंकर के वकील आशीष कुमार श्रीवास्तव की ओर से दलील दी गई कि प्रणय कुमार पांडेय और उसके भाई कर्ण शंकर पांडेय के प्रतिस्थापन प्रार्थना पत्र को चुनौती देने का वादमित्र को अधिकार नहीं है।पुनरीक्षणकर्ता भी वादमित्र की तरह हिंदू जनमानस का सदस्य है और बाबा विश्वनाथ का उपासक है। कानून में कहीं भी मृतक के स्थान पर प्रतिस्थापन के लिए विधिक वारिस का उल्लेख नहीं है बल्कि विधिक प्रतिनिधि का जिक्र है। ऐसे में पुनरीक्षणकर्ता के भी वहीं अधिकार हैं जो उनके पिता स्वर्गीय हरिहर पांडेय को प्राप्त थे और वादमित्र को प्राप्त है।जानकारी के लिए बता दें कि आशीष कुमार श्रीवास्तव द्वारा वादी पक्ष की ओर से इस वाद में पक्षकार बनाए गए स्वयंभू ज्योर्तिलिंग विश्वेश्वर (विश्वनाथ न्यास) की वैधानिकता को चुनौती दी गई। पुनरीक्षणकर्ता के मुकदमे में पक्षकार बनने से वादमित्र और ट्रस्ट का अधिकार किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं हो रहा है। वहीं अब इस मामले में कोर्ट चार नवंबर को फैसला सुनाएगा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।