Gyanvapi Case: जहां शिवलिंग मिला उस जगह का क्या हुआ...सर्वे करने वाली टीम को कोर्ट ने दिए ये आदेश
Gyanvapi Case ज्ञानवापी परिसर में सर्वे करने के जिला जज के आदेश के खिलाफ प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद (मस्जिद पक्ष) 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट गया। सुप्रीम कोर्ट ने उसे हाईकोर्ट जाने का आदेश देते हुए 26 जुलाई तक सर्वे पर रोक लगा दी थी। 25 जुलाई को हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए तीन अगस्त तक सर्वे पर रोक लगा दी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। वजूखाना जहां शिवलिंग मिला उस सील एरिया को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक विधि से जांच (एएसआइ सर्वे) का प्रार्थना पत्र मंदिर पक्ष की ओर से बीते साल 16 मई को जिला जज की अदालत में दाखिल किया गया था।
इसे स्वीकार करते हुए 21 जुलाई को जिला न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर (सुप्रीम कोर्ट द्वारा सील क्षेत्र को छोड़कर) का सर्वे करने का आदेश दिया था। इस आदेश के अनुपालन में एएसआइ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी के सील पानी टंकी क्षेत्र को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल करते हुए सर्वे किया था।
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे करने के जिला जज के आदेश के खिलाफ प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद (मस्जिद पक्ष) 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट गया। सुप्रीम कोर्ट ने उसे हाईकोर्ट जाने का आदेश देते हुए 26 जुलाई तक सर्वे पर रोक लगा दी थी। 25 जुलाई को हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए तीन अगस्त तक सर्वे पर रोक लगा दी। तीन अगस्त को हाईकोर्ट ने एएसआइ को ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की अनुमति दे दी।
कई बार सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के दिए थे आदेश
चार अगस्त से ज्ञानवापी परिसर में सर्वे फिर से शुरू किया गया जो लगातार दो नवंबर तक चला। सर्वे करने और इसकी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अदालत ने कई बार समय दिया।जिला जज ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे करने के अपने 21 जुलाई के आदेश में चार अगस्त तक सर्वे रिर्पोट दाखिल करने का आदेश दिया था। इस वक्त तक सर्वे पूरा नहीं हुआ तो एएसआइ की मांग पर जिला जज की अदालत ने चार सप्ताह का समय देते हुए दो सितंबर तक सर्वे पूरा करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
एक बार फिर दो सितंबर को प्रार्थना पत्र देकर एएसआइ ने आठ सप्ताह का समय और मांगा। बताया था कि परिसर में बाहर और तहखाने में काफी मलबा होने की वजह से सर्वे करने में समय लग रहा है। इस पर अदालत ने चार सप्ताह का समय दिया। इसके बाद भी सर्वे पूरा नहीं हो सका था। इसलिए चार अक्टूबर को एएसआइ ने फिर चार सप्ताह का समय मांगा अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया।
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