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Gyanvapi Case: क्या व्यास जी तहखाने में मंदिर पक्ष को मिलेगी पूजा-पाठ की अनुमति! अदालत आज सुनाएगी आदेश

Gyanvapi Case ज्ञानवापी केस में आज अदालत अहम आदेश देगी। मंदिर पक्ष को व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जाए या नहीं इस पर आज आदेश आएगा। सुनवाई के दौरान शैलेंद्र पाठक के वकील विष्णु शंकर जैन सुधीर त्रिपाठी सुभाष नंदन चतुर्वेदी दीपक सिंह ने कहा कि व्यास जी का तहखाना जिलाधिकारी को सौंपने की मांग स्वीकार की जा चुकी है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 31 Jan 2024 06:30 AM (IST)
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Gyanvapi Case: क्या व्यास जी तहखाने में मंदिर पक्ष को मिलेगी पूजा-पाठ की अनुमति
विधि संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तहखाना को जिलाधिकारी को सौंपने व उसमें पूजा-पाठ का अधिकारी देने की मांग को लेकर पं. सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक की ओर से दाखिल मुकदमे में जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने मंगलवार को आदेश सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले सुनवाई के दौरान वादी व प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने अपनी-अपनी दलीलें दीं। बहस के बाद अदालत ने आदेश के लिए बुधवार का दिन दिया है।

व्यास जी तहखाने में मिले पूजा-अर्चना की अनुमति

सुनवाई के दौरान शैलेंद्र पाठक के वकील विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, दीपक सिंह ने कहा कि व्यास जी का तहखाना जिलाधिकारी को सौंपने की मांग स्वीकार की जा चुकी है। हमारी दूसरी मांग है कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम स्थित नंदी जी के सामने बैरिकेडिंग खोली जाए और व्यास जी के तहखाने में पूजा-पाठ के लिए आने-जाने की अनुमति दी जाए।

वर्शिज एक्ट 1991 एक्ट से है बाधित

इस पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के वकील मुमताज अहमद व एखलाक अहमद ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह वाद प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट 1991 से बाधित है। लिहाजा मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। तहखाना मस्जिद का हिस्सा है, जो वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। इसलिए पूजा-पाठ की अनुमति न दी जाए। यह भी कहा कि एक प्रार्थना पर आदेश हो जाने के बाद दूसरी बार आदेश नहीं दिया जा सकता है।

बहुत सी प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री भी रहीं मौजूद

शैलेंद्र कुमार पाठक की ओर से बीते साल 25 सितंबर को वाद दाखिल कर दावा किया गया था कि ज्ञानवापी के दक्षिण की ओर से मौजूद इमारत में तहखाना है। यह प्राचीन मंदिर के मुख्य पुजारी व्यास परिवार की मुख्य गद्दी है। इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यास जी ब्रिटिश शासनकाल में भी वहां काबिज थे और दिसंबर 1993 तक वहां पूजा-अर्चना की है। वहां हिंदू धर्म की पूजा से संबंधित सामग्री बहुत सी प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री वहां मौजूद हैं।

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