Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी में निगरानी याचिका का 1991 से चल रहा है वाद, जानिए पूरा विवाद
वाराणसी जिले में ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण तीन दशक से भी अधिक समय से लगातार सुनवाई का दौर जारी है। इसी कड़ी में बुधवार को निगरानी याचिका पर सुनवाई होनी थी जो तीन नवंबर तक टल गई है। आइए जानते हैं कि आखिर यह पूरा विवाद क्या है...
By devendra nath singhEdited By: Abhishek sharmaUpdated: Wed, 19 Oct 2022 01:46 PM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका पर बुधवार को अदालत की सुनवाई टलने के बाद अब नवंबर की तिथि सुनवाई के लिए अदालत ने मुकर्रर की है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) की अदालत द्वारा मुकदमे की सुनवाई करने के क्षेत्राधिकार के प्रश्न पर दाखिल निगरानी याचिका पर बुधवार को सुनवाई एक बार फिर से टल गई है।
जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश के अवकाश पर रहने के कारण सुनवाई बुधवार को नहीं हो सकी। निगरानी याचिका पर सुनवाई के लिए अब तीन नवंबर की तिथि मुकर्रर की गई है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी के निर्णय के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर कर रखा है।
बता दें कि वर्ष 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से पं.सोमनाथ व्यास तथा अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा पाठ करने के अधिकार देने को लेकर मुकदमा दायर किया गया था। सात मार्च 2000 को पं सोमनाथ व्यास का निधन हो गया। तत्पश्चात उनके स्थान पर मुकदमे में पैरवी करने के लिए पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी वादमित्र नियुक्त किए गए।
सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) न्यायालय के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी गई। इनकी ओर से दलील दी गई थी कि वक्फ न्यायाधिकरण के गठन के बाद उक्त मामले की सुनवाई का सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत को क्षेत्राधिकार नहीं है। इस पर वादी पक्ष की ओर से आपत्ति जताई गई कि उक्त विवादित परिसर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर का अंश है।
सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) ने दोनों पक्षों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात् 25 फरवरी 2020 को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की चुनौती को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि मुसलमानों के मध्य विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार वक्फ न्यायाधिकरण को है जबकि गैर मुस्लिम के स्वामित्व के मामलों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार सिविल कोर्ट को है।
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