Happy Holi : होली के रंगों में डूबा उत्सव रसिया शहर बनारस, होरी और फाग के साथ पूरी तरह मूड में बनारसी
पर्व-उत्सवों का रसिया शहर बनारस सोमवार को होली के रंगों में डूबा-उतराया। सुबह धूलि वंदन कर घरों से शुरू उत्सवी आनंद कुछ ही देर में सड़कों तक पसरा। बच्चे हों या युवा मन कोरोना की बंदिशें दरकिनार कर खूब मौज मस्ती की।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Mon, 29 Mar 2021 12:40 PM (IST)
वाराणसी, जेएनएन। पर्व-उत्सवों का रसिया शहर बनारस सोमवार को होली के रंगों में डूबा-उतराया। सुबह धूलि वंदन कर घरों से शुरू उत्सवी आनंद कुछ ही देर में सड़कों तक पसरा। बच्चे हों या युवा मन कोरोना की बंदिशें दरकिनार कर खूब मौज मस्ती की और जो भी सामने मिला उसे रंगों से नख-शिख नहलाया। झनकते-टनकते डीजे की धुन पर उत्साही युवाओं ने ठुमके लगाए तो हर हर महादेव के उद्घोष और काशिका जोश भी सड़कों पर नजर आया।
सोनारपुरा समेत कई मोहल्लों से होली बरात निकाली तो मटका फोड़ने का अंदाज भी हर किसी को भाया। बनारस में होली की रंगत तो रंगभरी एकादशी से ही निखरने लगी थी लेकिन फागुन पूर्णिमा पर रविवार को बनारसी मन दुनियावी दुश्वारियों को दरकिनार कर होरी और फाग के साथ पूरी तरह मूड में आया था। इस उल्लास के आलम में हर गिले शिकवे को होलिका की आग में जलाया और हर जुबान पर पिंगल राग छाया। बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध लेहि के अंदाज में नए साल को तन-मन से जीने का संकल्प जताया। सुबह सवेरे घरों में एक ओर छनन-मनन शुरू हुई तो दूसरी ओर बच्चों ने पिचकारियों में रंग और जेब या झोली में अबीर-गुलाल सहेज लिया। घरों में तो अपनों को भिगोया ही छतों-बरामदों से निशाना लगाया और राह चलते भी हर को तरबतर किया। प्रतिबंधों के बाद भी युवा जत्थे बाइकों पर फर्राटा भरते निकले। शहर के भीतरी इलाकों में डीजे सेट लगा कर नृत्य का आनंद लिया। पक्के महाल के कई इलाकों में मस्तानों की टोली ने ढोल-मजीरे व नगाड़े पर थाप दी और इस ओर से उस छोर तक होरी फाग गूंजे। इसमें भरभरा उठीं भेद की दीवारें, जन जन के मन बांध तोड़ होली का उल्लास व आह्लंाद का रंग चटख होता गया।
अबीर गुलाल में घुला आशीष का रंग
होली पर मठ मंदिरों में भी पर्व की रंगत दिखी। सुबह से ही भक्तों की जुटान हुई और अपने गुरु या आराध्य देवों को अबीर-गुलाल समर्पित किया। संत मत अनुयायी आश्रम मठ गड़वाघाट में इसके लिए कुछ अधिक ही जुटान रही जिसमें देश भर से आए भक्तों गुरुदेव के रंगों सराबोर हुए। अबीर-गुलाल चरणों में अर्पित कर मंगलमय जीवन का आशीष लिया। शहर के अन्य मठों-मंदिरों में भी श्रद्धालु पहुंचे तो काशी की परंपरानुसार चौसट्ठी घाट स्थित चौसट्टी माता मंदिर में सबसे अधिक जुटान हुई।
घाटों पर बंदिश होली पर जुटान के मद्देनजर जिला प्रशासन की ओर से पहले ही गंगा घाटों के लिए प्रतिबंध जारी कर दिया गया था। धारा 144 लगाते हुए साबुन लगाकर स्नान, सर्फादि से कपड़ों की धुलाई की बंदिशों के साथ ही नावों के संचालन पर भी रोक लगा दी गई थी। ऐसे में सुबह के साथ घाटों का सन्नाटा न टूटा। दिखे भी तो स्थानीय निवासी या पुलिस के जवान जो अपने अपने स्थान पर ड्यूटी देते रहे।
जागरूक लोगों ने सतर्कता बरती कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जागरूक लोगों ने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी। होलियाए मन को सांत्वना दी और घर में ही एक दूसरे को अबीर गुलाल लगा कर औपचारिकता पूरी की। बाहर जाने और गले मिलने से परहेज किया। माथे पर अबीर लगाया, करबद्ध प्रणाम किया और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया। कहा, जीवन रहेगा तो हर साल होली होगी। फिलहाल कोरोना से खुद बचना हैै और सभी को बचाना है।
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