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IAS Himanshu Nagpal: इस अफसर के 'मिशन मुस्कान' से गुम बच्चों को मिल रही मंजिल, 730 मासूमों को पहुंचाया गया घर

IAS Himanshu Nagpal एक अफसर की पहल पर शुरू किए गए मिशन से सैकड़ों बच्चों को अपना परिवार मिल गया। सड़क पर भटकने को मजबूर मासूमों को जब घरवालों का साथ मिला तो उनके चेहरे की मुस्कान लौट आई। इस मिशन की शुरूआत वाराणसी के सीडीओ हिमांशु नागपाल ने किया। मिशन मुस्कान के जरिये 60 अफसरों की 12 टीमों ने 730 बच्चों को घरों तक पहुंचाया।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Sat, 16 Sep 2023 11:14 AM (IST)
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वाराणसी के सीडीओ हिमांशु नागपाल। -जागरण ग्राफिक्स
वाराणसी, विकास ओझा। नेपाल से परिवार के साथ बनारस आया छह साल का रोबिन (बदला नाम) अपनों से बिछड़ गया। ललिताघाट स्थित नेपाली मंदिर के पास कई दिनों तक स्वजन की राह देखी और आखिर में पेट भरने के लिए घाटों के चक्कर काटने लगा। रोबिन को घर जाने की राह दिखाई 'मिशन मुस्कान' ने, जिसे मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल (IAS Himanshu Nagpal) ने पिछले साल जुलाई में शुरू किया था। हिमांशु सड़कों पर, फ्लाईओवरों के नीचे, रेलवे स्टेशनों के बाहर बच्चों को भीख मांगते देखा करते थे। बच्चों ने बताया कि वे यहां के रहने वाले नहीं है और परिवार से बिछड़ गए हैं।

सीडीओ हिमांशु नागपाल का शुरू किया मिशन गुम बच्चों को दे रहा मंजिल

हिमांशु ने बच्चों को उनके माता-पिता से मिलाने का फैसला किया और मिशन मुस्कान की शुरुआत की। बाल विकास, समाज कल्याण और पुलिस आदि विभागों के 60 अधिकारियों की 12 टीमें गठित की और उन्हें रेलवे स्टेशन, बसअड्डा, घाटों पर, फ्लाईओवरों के नीचे, मंदिरों व होटलों आदि आसपास भीख मांग रहे बच्चों की पहचान की जिम्मेदारी सौंपी। अब तक 730 बच्चों को उनके घर वालों से मिलाया गया है। कोई बच्चा ट्रेन में सफर के दौरान अपनों से बिछड़ गया तो कोई गलत ट्रेन में बैठकर यहां पहुंच गया था। कुछ ऐसे भी बच्चे भी थे जो घूमने के लिए काशी आए और यहीं रह गए।

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दिव्यांग को ऐसे पहुंचाया गया मंजिल तक

मानसिक रूप से दिव्यांग शामली का रहने वाला 12 वर्षीय शोएब अहमद 2019 में गलत बस में बैठकर बनारस आ गया, लेकिन घर लौट नहीं सका। रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने लगा। साफ बोल भी नहीं पाता था। उसका उपचार कराया, काउंसलिंग कराई तब कहीं उसे अपना और पिता का नाम, शहर आदि याद आया। पुलिस ने पता किया तो उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज थी। अब उसके घर का पता ढूंढना आसान हो गया और उसके माता-पिता के पास पहुंचा दिया गया। इसी तरह अनेक बच्चों को उनके घर पहुंचाने से परिवार वाले तो खुश हुए ही अफसरों के चेहरे पर भी संतोष दिखा।

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बुलावा मिशन की बजी डुगडुगी

हिमांशु नागपाल ने 150 सरकारी स्कूलों में बच्चों की कमी, ड्राप आउट समस्या से निपटने के लिए बुलावा मिशन शुरू किया है। प्रत्येक स्कूल में शिक्षकों की टीम बनाई है। नामांकन के बाद जो बच्चे स्कूल नहीं आते, टीम के सदस्य उनके घरों तक जाते हैं और बच्चे व अभिभावकों की काउंसलिंग करते हैं। अब बच्चे स्कूल से गायब नहीं होते क्योंकि उन्हें पता है बुलावा टीम घर पहुंच जाएगी।

क्या कहते हैं अधिकारी

वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने कहा कि बेघर, बेसहारा व भटके हुए बच्चों के चेहरे पर खुशी लाने के लिए मिशन मुस्कान की शुरुआत की थी। माता-पिता से दूर हो गए ये बच्चे घर लौटना चाहते थे लेकिन नहीं जानते थे कि क्या करें। इन बच्चों की घर वापसी के लिए टीम ने बड़ी मेहनत की है। जो बच्चे अभी तक घर का पता नहीं बता सके हैं उन्हें बाल संरक्षण गृह में रखकर पढ़ाया-लिखाया जाता है।

नाद की ‘गाद’ हटाओ मिशन

गिरते भूजल स्तर को देखते हुए बनारस के कई गांवों से जुड़ी बरसाती नदी नाद की गाद यानी गंदगी हटाने का अभियान शुरू किया है। इस नदी को स्वच्छ कराया जा रहा है। इसमें गिरने वाले कल कारखानों के पानी को बंद करा दिया है। इस नदी को गहरा कर भूजल बनाए रखने की दिशा में कार्य हो रहा है। हजारों पेड़ भी नदी किनारे लगाए जा रहे हैं।

सरकारी स्कूल से आइएएस अफसर बनने का सफर

2019 बैच के आइएएस अधिकारी हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले हैं और पिछले साल वाराणसी में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) बन कर आए। कक्षा पांच तक पढ़ाई सरकारी स्कूल और 12वीं तक की शिक्षा हिंदी माध्यम से पाई। दिल्ली के हंसराज कालेज में बीकाम आनर्स किया। ग्रेजुएशन में थे तभी सड़क हादसे में पिता को खो दिया। कुछ ही दिनों बाद बड़े भाई की मृत्यु ने उन्हें तोड़ दिया लेकिन मां और चाचा ने संभाला। पढ़ाई जारी रखी और लक्ष्य प्राप्त किया।

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