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IIT BHU के केमिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग में हाइड्रोजन से बिजली उत्‍पादन सफल

आइआइटी -बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग में हाइड्रोजन से बिजली बनाने में सफलता मिली है। लैब स्तर पर मिथेनाल से अल्ट्रा- शुद्ध हाइड्रोजन का उत्पादन किया गया है जो कि मेंबरेन रिफार्मर तकनीक पर आधारित है।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Sat, 13 Mar 2021 12:32 PM (IST)
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आइआइटी-बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग में हाइड्रोजन से बिजली बनाने में सफलता मिली है।
वाराणसी, जेएनएन। आइआइटी-बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग में हाइड्रोजन से बिजली बनाने में सफलता मिली है। लैब स्तर पर मिथेनाल से अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन का उत्पादन किया गया है जो कि मेंबरेन रिफार्मर तकनीक पर आधारित है। इस तक तकनीक का एक प्रोटोटाइप विभाग में विकसित किया है। विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राजेश कुमार उपाध्याय और उनके शोधार्थियों ने 13 लीटर हाइड्रोजन से एक किलोवाट विद्युत का उत्पादन किया है।

डा. उपाध्याय ने बताया कि यह प्रोटोटाइप जीवाश्म ईंधन के उपयोग और कार्बन फुटप्रिंट को काफी कम करेगा। कांपैक्ट इकाई के चलते इसका उपयोग ऑन-साइट या ऑन-डिमांड अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए किया जा सकता है। इस तकनीक से मात्र 15 मिनट में 15 एमएल मेथनाल से 13 लीटर 99.999 प्रतिशत शुद्ध हाइड्रोजन अलग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसी प्रोटोटाइप को हाइड्रोजन ईंधन सेल के साथ एकीकृत कर एक किलोवाॅट बिजली का उत्पादन करने में भी सफलता मिली है। 

इलेक्ट्रिक वाहन होंगे चार्ज

विकसित प्रोटोटाइप का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने के लिए किया जा सकता है। डा. उपाध्याय की टीम मोबाइल इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर के क्षेत्र में भी काम कर रही है, जहां विकसित प्रोटोटाइप को मोबाइल वैन में स्थापित किया जा सकता है। इससे बिजली बनाने के लिए हाइड्रोजन ईंधन सेल के साथ एकीकृत कर चार्जिंग के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। वहीं इलेक्ट्रिक वाहन के लिए कार्यालय या घर पर होने पर चार्जिंग सुविधा का उपयोग करने के लिए एप-आधारित मॉड्यूल का उपयोग कर सकता है। इससे न केवल यूजर का समय बचेगा बल्कि चार्जिंग स्टेशनों पर कतार भी कम होगी। उन्होंने बताया कि यह इकाई हाइड्रोजन-आधारित कार के लिए बेहद कारगर साबित हो सकती है। आवश्यक हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए ऐसी इकाइयों को पेट्रोल पंपों पर स्थापित किया जा सकता है। यह तकनीक ग्रिड पर भार को कम करेगी और हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देगी। डा. उपाध्याय के अनुसार एक किलोवाट प्रोटोटाइप के डिजाइन की वर्तमान परियोजना भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित है। 

 

हाइड्रोजन उर्जा में उत्कृष्टता का केंद्र बनेगा आइआइटी

आइआइटी के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि मेंबरेन रिफार्मर तकनीक पर आधारित प्रोटोटाइप यूनिट ‘मेक इन इंडिया’ और ’आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को भी बढ़ावा देती है। हम सरकार के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। हमारा संस्थान उन अग्रणी संस्थानों में से एक है जो हाइड्रोजन ऊर्जा के सभी पहलुओं पर काम कर रहा है।

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