आईआईटी से मिल रही सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के सपनों को उड़ान, काशी के 354 जूनियर स्कूलों में प्रभावी
वाराणसी के बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित 354 जूनियर स्कूलों में पिछले एक वर्ष से ज्ञान-विज्ञान की यह पढ़ाई विद्या शक्ति परियोजना के तहत चल रही है। वाराणसी में मिली सफलता के बाद अब इस परियोजना को पूरे देश में प्रभावी करने की तैयारी है। दिल्ली में पिछले सप्ताह आयोजित अखिल भारतीय शिक्षा समागम में विद्या शक्ति परियोजना पर चर्चा हुई।
विकास ओझा, वाराणसी। बनारस के अर्दली बाजार में कंपोजिट विद्यालय का स्मार्ट क्लास। जमीन पर बिछी दरी पर बैठे रिया, खुशबू, रोहित समेत दर्जन भर छात्र-छात्राएं सामने लगी स्क्रीन पर एकटक सर आइज़क न्यूटन की तस्वीर को निहार रहे हैं और स्क्रीन के पीछे से आवाज आ रही है-इस महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक ने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की...।
कक्षा छह के इन बच्चों को स्कूल के अध्यापक नहीं, बल्कि आईआईटी मद्रास के छात्र ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। वाराणसी के बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित 354 जूनियर स्कूलों में पिछले एक वर्ष से ज्ञान-विज्ञान की यह पढ़ाई विद्या शक्ति परियोजना के तहत चल रही है। वाराणसी में मिली सफलता के बाद अब इस परियोजना को पूरे देश में प्रभावी करने की तैयारी है।
दिल्ली में पिछले सप्ताह आयोजित अखिल भारतीय शिक्षा समागम में विद्या शक्ति परियोजना पर चर्चा हुई। केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्यमंत्री जयंत चौधरी, शिक्षा विभाग के सचिव समेत अन्य अधिकारी की मौजूदगी में प्रजेंटेशन दिया गया।
समागम में समस्त आईआईटी व एनआईटी के प्रमुख और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थे। सबने इसे सराहा व पूरे देश में लागू करने की बात कही। चर्चा यह भी है कि भारत सरकार इसे वित्तीय सहायता देगी।
काशी में दिसंबर, 2022 में आयोजित तमिल संगमम् के दौरान आईआईटी मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि ने विद्या शक्ति परियोजना की नींव रखी थी। सरकारी स्कूल जैसे-जैसे स्मार्ट क्लासेज से जुड़ते गए, यह प्रोजेक्ट प्रभावी होता गया।
इस समय 354 जूनियर स्कूलों में इसे प्रभावी कर दिया गया है, जहां आईआईटी के विद्यार्थी सरकारी स्कूलों के बच्चों को ऑनलाइन साइंस, अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं। सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का फायदा आईआईटी मद्रास के विद्यार्थियों को भी है।
इस सामाजिक कार्य के लिए आईआईटी की ओर से अपने छात्रों को विशेष प्रमाण पत्र दिया जाता है। नौकरी के लिए आवेदन देते समय उन्हें इसका फायदा भी मिलता है। और बच्चों का तो कहना ही क्या। जहां तक किताबों में लिखी बातों को समझाने और रटाने की बात है तो वह उनके स्कूल के अध्यापक भी बहुत अच्छे ढंग से कराते हैं। विद्या शक्ति परियोजना की सफलता इसमें है कि ये बच्चे विश्व के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग संस्थानों में एक आईआईटी के छात्रों से रूबरू हो रहे हैं।
ज्ञान-विज्ञान तो उनसे पढ़-सीख रहे ही हैं, सबसे बढ़कर सपने देख रहे हैं। इससे पहले उन्होंने साइंस को इस ढंग से कभी पढ़ने या समझने के बारे में सोचा तक नहीं था। तभी तो रोहित, खुशबू व रिया कहती हैं कि भइया और दीदी लोग बहुत अच्छे से पढ़ाते हैं। सब कुछ समझ में आता है। टेस्ट जब होता तो अच्छा नंबर भी मिलता है। हमें भी आईआईटियन बनना है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।कंपोजिट विद्यालय, अर्दली बाजार की क्लास कोऑर्डिनेटर तुबा खान ने बताया कि आईआईटी के विद्यार्थी स्कूल के बच्चों को बहुत सरल भाषा में पढ़ाते हैं। बिल्कुल कोर्स को ध्यान में रखकर। दोपहर डेढ़ बजे से क्लास शुरू होती है और ढाई बजे तक चलती है।विद्या शक्ति परियोजना को काशी में मिल रही सफलता के बाद अब इसे पूरे देश में प्रभावी करने की तैयारी चल रही हैं। शीघ्र ही इस क्लास को जूम पर लाया जाएगा, ताकि बच्चे न सिर्फ सवाल पूछ सकें बल्कि अपने आइआइटियन गुरु का चेहरा भी दिख सकें। - हिमांशु नागपाल, सीडीओ, वाराणसी