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संकट मोचन संगीत समारोह में हनुमत दरबार में आस्‍था के गूंज रहे स्‍वर, सुर लय ताल से हो रही साधना

वाराणसी में संकट मोचन संगीत समारोह में हनुमत दरबार में चौथी निशा में शनिवार को आस्‍था के स्‍वर खूब मुखरित हुए। इस दौरान दरबार परिसर में सुर लय ताल से हनुमद प्रभु की साधना और आराधना का क्रम जारी रहा।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Sun, 24 Apr 2022 09:19 AM (IST)
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संकट मोचन संगीत समारोह की चौथी निशा में सुर लय ताल की त्रिवेणी खूब बही।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। संकट मोचन संगीत समारोह की चौथी निशा में शनिवार को सुर-लय-ताल की त्रिवेणी प्रवाहित हुई। इस दौरान आस्‍था के स्‍वरों से हनुमद दरबार गुंजायमान होता रहा और हनुमान दरबार में स्‍वरों से साधना भी हुई। शाम से ही दरबार में आस्‍था के स्‍वरों का नाद शुरू हुआ तो हनुमद दरबार में आस्‍था के सैकड़ों पग अनवरत पहुंचने लगे। हर हर महादेव के साथ जय हनुमान का उद्घोष हुआ और सुरों से साधना का क्रम शुरू हुआ तो देर रात तक आस्‍था में रचे पगे स्‍वरों के साथ कलाकारों ने समा बांध दिया। 

हनुमान प्रभु के दरबार में स्‍वर और नाद के साथ की कदमों की थाप से शनिवार को चौथी निशा में आस्‍था का गान ही नहीं बल्कि सामाजिक समरसता और सद्भाव का भी अनोखा संगम नजर आया। अजान के स्‍वरों को साधने वालों ने हनुमान दरबार में आस्‍था के स्‍वरों को साधा तो तान छेड़कर समरसता और सद्भाव को अनंत ऊंचाइयां दीं। जैसे जैसे रात गहराती गई वैसे वैसे ही सुर गंगा काशी में मानो आयोजन के जरिए आकाश गंगा का रूप लेती नजर आयी। साधकों ने सुरों को साधा तो सांस्‍कृतिक आयोजनों से हनुमद दरबार में अनोखा आक‍र्षण महसूस कर सुरों के चाहने वाले भी आस्‍था से ओत प्रोत हो उठे।  

संकट मोचन हनुमान के दरबार में भगवान शिव के रूद्र रूप की आराधना के साथ चौथी निशा का आरंभ आठ बजे के बाद शुरू हुआ तो धार्मिक स्‍वरूप से मंच जीवंत हो उठा। इस दौरान रायगढ़ घराने की कथक नृत्यांगना अनुराधा सिंह ने पांच मात्रा सूल ताल में निबद्ध से शिव वंदना पर नृत्य किया। शुद्ध तीन ताल में पारंपरिक कथक के बाद श्रीराधा कृष्ण के प्रसंगों को आधारित संक्षिप्त कथानक पर भाव नृत्य किया। वहीं आयोजन में तबले पर संगत कर रहे सलीम अल्लाहवाले ने गायन और हारमोनियम वादन का जिम्मा भी साथ- साथ निभाया।

दूसरी प्रस्तुति में धारवाड़ के विजय पाटिल ने अपने गायन में राग सोहनी की अवतारणा की उन्होंने इस राग में बिलम्बित एक ताल में जागो कैलाश उमापति जागो व रंग रंगीला छैल- छबीला सुनाया। इसके बाद उन्होंने राग मारू बिहाग में कहता है जगत मन है प्रिय शिव भजन सुनाया।। तबला पर रूपक कल्लुरकर व हारमोनियम पर नरेंद्र नायक ने संगत की।

तीसरे कलाकार के रूप में पद्मश्री शाहिद परवेज ने अपने सितार के तारों की झंकार से मंदिर परिसर को गुंजायमान कर दिया। उनके साथ तबले पर जोरदार संगत तबला के शलाखा पुरुष पंडित शारदा सहाय के पुत्र पंडित संजू सहाय (वाराणसी ) ने किया। दोनों कलाकारों की संगत ने प्रचलित राग जोगेश्वरी की अवतारणा में अपनी विद्वत्ता की छाप छोड़ी। इसमें आलाप, जोड़ व झाला में राग का बखूबी विस्तार किया। वाद्य संगीत की दोनों विधाओं की युगलजोडी ने ऐसी टंकार लगाई कि श्रोता भाव विह्वल हो उठे।

निशा का चौथा सोपान उस्ताद मशकूर अली खां का गायन रहा। उनकी गायकी में किराना घराने की पूरी झलक सुनाई पड़ी। पारिवारिक परम्परा से आगत गायन में अपने दादा गुरु अब्दुल करीम खां व अब्दुल बहीद खां के साथ ही पिता पद्मश्री उस्ताद शकूर खां की गायकी का असर बखूबी दिखा। उन्होंने राग मालकौंस की अवतारणा की। उन्होंने इस राग में बिलम्बित झूमरा ताल में कृष्ण माधो राम नाम निर्जन गोविंद गोपाल सुनाया। इसी राग की बढ़त में जब उन्होंने द्रुत तीन ताल में मूरख मन मोरे सुनाया तब श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से प्रस्तुति को वाहवाही दी।

सुबह तक श्री संकट मोचन संगीत समारोह में बांसुरी वादन पं. रोनू मजूमदार, पं. रतन मोहन शर्मा ने गायन, डॉ.एम ललिता-एम नंदिनी ने वायलिन वादन‍ किया।