वाराणसी में फर्जी आइडी-पासवर्ड के सहारे जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र का 'खेल', सब-रजिस्ट्रार के नाम से 40 फर्जी आईडी हुई थी जेनरेट
पोर्टल में नगर निगम की ओर से नगर स्वास्थ्य अधिकारी रजिस्ट्रार हैं। वहीं नगर क्षेत्र को पांच जोन में बांटते हुए उनके नीचे पांच सब-रजिस्ट्रार भी हैं लेकिन जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र केवल रजिस्ट्रार की आईडी-पासवर्ड से ही जारी किए जाते हैं।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 16 Jul 2021 11:15 PM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। जनपद में फर्जी आइडी-पासवर्ड के सहारे जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के बड़े खेल का शुक्रवार को पर्दाफाश हुआ है। जालसाज इसके जरिए मोटी रकम लेकर लोगों को जन्म या मृत्यु के प्रमाणपत्र दिया करते थे। स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को सब-रजिस्ट्रार के नाम पर बने 40 फर्जी आइडी-पासवर्ड को चिन्हित करते हुए निष्क्रिय कर दिया गया है। वहीं अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी है। इसके चलते सुबह से लेकर शाम चार बजे तक पोर्टल बंद रहा और जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र संबंधी कार्य बाधित रहा।
दरअसल, पोर्टल में नगर निगम की ओर से नगर स्वास्थ्य अधिकारी रजिस्ट्रार हैं। वहीं नगर क्षेत्र को पांच जोन में बांटते हुए उनके नीचे पांच सब-रजिस्ट्रार भी हैं, लेकिन जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र केवल रजिस्ट्रार की आईडी-पासवर्ड से ही जारी किए जाते हैं। सुबह डाटा प्रोसोसिंग असिस्टेंट ने जब नियमित जांच-पड़ताल के लिए पोर्टल खोला तो उन्हें सब-रजिस्ट्रार के नाम से करीब 40 नई आडडी से प्रमाणपत्र निर्गत हुए आइडी-पासवर्ड जेनरेट दिखे। इस पर उन्होंने तत्काल पोर्टल बंद करते हुए फर्जी आइडी-पासवर्ड को निष्क्रिय करना शुरू किया। शाम तक रजिस्ट्रार के नाम से नई आइडी जेनरेट कर पोर्टल दोबारा शुरू किया गया।
अब तक बन चुके 1000 से अधिक प्रमाणपत्र
विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस जालसाजी के सहारे करीब 1000 प्रमाणपत्र बनाए जा चुके हैं। जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से बनाने में साइबर अपराधी सक्रिय हैं। लाेगों से एक प्रमाणपत्र के एवज में 1500 से लेकर 3000 रुपये तक वसूले जाते। इसका पता शिकायत मिलने पर या सत्यापन के दौरान चलता है।पासवर्ड न बदलना तो नहीं बना कारण
सूत्रों के मुताबिक राज्य स्तर पर सभी के लिए एक साथ एक ही मेल पर आइडी-पासवर्ड आता है। इसमें साफ तौर पर पासवर्ड बदलने का निर्देश भी रहता है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि किसी रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार ने पासवर्ड नहीं बदला होगा, जिसका फायदा उठाकर विभाग के ही किसी कर्मचारी ने यह कारस्तानी की है।शिकायत आए तो हो जांचविभागीय अधिकारियों की माने तो ऐसे मामलों में यह पता लगाना नामुमकिन होता है कि किसने और कहां से प्रमाणपत्र जेनरेट किया। फर्जी प्रमाणपत्र के मामले में शिकायत मिलने पर ही जांच की जाती है और आरोप सिद्ध होने पर संबंधित व्यक्ति पर विधिक कार्यवाई भी होती है। कितने लोगों को ऐसे प्रमाणपत्र निर्गत किए गए, शिकायत आने पर ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
मामले की पूरी जानकारी जुटाई जा रही हैमामले की पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। 40 के करीब आइडी निष्क्रिय कर दिए गए हैं। मामले में नियमानुसार विधिक कार्यवाही की जाएगी।- डा. वीबी सिंह, सीएमओ।
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