Gyanvapi ASI Survey: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर मिले शिवलिंग और नंदी, बलुआ पत्थर और मार्बल से बनी देवताओं की मूर्ति
Gyanvapi ASI Survey एएसआई की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है। सर्वे के दौरान यहां मार्बल व बलुआ पत्थर के कई शिवलिंग व नंदी के विग्रह संकेत दे रहे हैं कि यहां पूर्व में विधि- विधान से पूजा-पाठ होता रहा होगा। सर्वे के दौरान यहां एक मार्बल का 2.5 सेमी लंबा 3.5 सेमी चौड़ा बलुआ पत्थर का शिवलिंग सही स्थिति में मिला है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है। ज्ञानवापी परिसर की दीवारें व अवशेष पर हिंदू धर्म से जुड़े कई शब्द व चित्र पूर्व में यहां मंदिर होने का साक्ष्य दे रही हैं। मार्बल व बलुआ पत्थर के कई शिवलिंग व नंदी के विग्रह संकेत दे रहे हैं कि यहां पूर्व में विधि- विधान से पूजा-पाठ होता रहा होगा।
सर्वे के दौरान यहां एक मार्बल का 2.5 सेमी लंबा, 3.5 सेमी चौड़ा बलुआ पत्थर का शिवलिंग सही स्थिति में मिला है। इसी प्रकार 8.5 सेमी लंबा, 5.5 सेमी ऊंची व 4 सेमी चौड़ा पत्थर का नंदी भी ठीक स्थिति में है। एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट में बकायदा इसका उल्लेख भी किया है।
मिली हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां
इसी प्रकार 21 सेमी ऊंची, छह सेमी चौड़ा बलुआ पत्थर का एक शिवलिंग के साथ बलुआ पत्थर से निर्मित भगवान विष्णु की 50 सेमी ऊंचाई, 30 सेमी चौड़ी मूर्ति व गणेश की 8.5 सेमी लंबी व 3.5 सेमी चौड़ी टेराकोटा पत्थर की मूर्ति की तस्वीर भी एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में जारी की है। इसी प्रकार एक बीम पर नागरी लिपि में लिखे कासी को दर्शाया है। इसकी तस्वीर भी रिपोर्ट में जारी है।मिला 16वीं शताब्दी का अवशेष
इसके अलावा अवशेष पर संस्कृत में लिखे शब्द श्रीमच्छा, पा भृगुवास, वद्विजातिश्च, आय अर्जानी, णरायै परोप, जातिभि: धर्मज्ञ: अंकित है। एएसआई ने इसे 16वीं शताब्दी का अवशेष बताया है। एक दीवार पर संस्कृत में रुद्राद्या व श्रावना का उल्लेख है। संस्कृत में लिखे यह समस्त शब्द ज्ञानवापी परिसर के पुरातन इतिहास को दर्शा रही है।
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