जागो ग्राहक जागो: स्टेट बैंक में जमा रुपयों पर नहीं मिला ब्याज तो लड़ी लंबी लड़ाई, 14 साल बाद मिला न्याय
वाराणसी के होम्योपैथिक दवा कारोबारी अजय कुमार शर्मा ने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग न्याय हासिल किया। उन्होंने बैंक में जमा अपनी धनराशी पर ब्याज ना मिलने को लेकर कोर्ट में केस और आखिरकार 14 साल बाद न्याय पाया।
By Jagran NewsEdited By: Ritu ShawUpdated: Sun, 25 Dec 2022 09:30 AM (IST)
जागरण संवाददाता, शिवपुर: चिकित्सक की लापरवाही या फिर बैंक से धोखा मिलने के बाद कई लोगों ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के माध्यम से लड़ाई लड़ कर न्याय पाया है। वाराणसी के पांडेपुर बघवानाला क्षेत्र के रहने वाले होम्योपैथिक दवा कारोबारी अजय कुमार शर्मा ने 14 वर्ष की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के आदेश पर न्याय पाया।
यह है मामला
होम्योपैथिक दवा कंपनी सुरेश लैबोरेट्री के अधिष्ठाता अजय कुमार शर्मा ने बताया कि उन्होंने 29 मार्च 1988 को भारतीय स्टेट बैंक की कचहरी स्थित मुख्य शाखा में पब्लिक प्रोविडेंट फंड योजना (पीपीएफ) के तहत 15 वर्षों के लिए रुपया जमा करने हेतु खाता खोला उस खाते में व्यक्ति 1 वर्ष में अधिकतम डेढ़ लाख रुपए जमा कर सकता है।
उन्होंने बताया कि 30 मार्च 2003 को मेरी रुपयों की मैच्योरिटी पूरी हुई तथा बैंक में जमा कुल धनराशि ₹10लाख 76हजार 470 हुई। 15 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात उपभोक्ता अजय कुमार शर्मा ने बैंक से रुपया ना निकालकर उसी रुपए को आगे के 5 वर्ष के लिए बढ़ा दिया। 31 मार्च 2008 को जब मेच्योरिटी पूरी हुई तो दुबारा अजय कुमार शर्मा द्वारा पूरी धनराशि 19 लाख 94हजार 207 रूपया को आगे के 5 वर्ष के लिए फिर बढ़ा दिया गया।
अजय कुमार शर्मा ने बताया कि जब वे 6 जनवरी 2009 को आगे के 5 वर्ष के लिए पीपीएफ अकाउंट में रुपया जमा करने गए तो उन्हें बैंक द्वारा बताया गया कि 31 मार्च 2003 से 31 मार्च 2008 तक का ब्याज ₹5 लाख ₹67हजार 737 रुपये आपको वापस नहीं दिया जाएगा क्योंकि आपने फार्म एच (इनकम टैक्स से संबंधित) नहीं भरा था। इन्होंने अधिवक्ता अजय कुमार गुप्ता के माध्यम से जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में बैंक पासबुक व अन्य दस्तावेजों को सम्मिलित करके वाद दाखिल किया।
कोर्ट के आदेश पर आगामी 5 वर्ष के लिए बैंक को आदेश दिया गया की पीड़ित का रुपया जमा करते रहे तथा 5 वर्ष की मेच्योरिटी पूर्ण होने के पश्चात जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सिंह द्वारा 27 सितंबर 2022 को आदेश दिया गया कि इस आदेश की तिथि से 30 दिन के अंदर पीड़ित के पीपीएफ खाता में दिनांक 31/3/ 2003 से 31/3 /2008 की अवधि की ब्याज धनराशि 5लाख ₹67 हजार 737 रुपयेतथा वाद व्यय ₹3 हजार का भुगतान किया जाए, ऐसा न करने पर परिवादी विपक्षी बैंक से 5 लाख 67 हजार 676 रुपये पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अंतिम रूप से भुगतान की तिथि तक 6% छः प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी पाने का अधिकारी होगा।
इस मामले में जब दवा कारोबारी उपभोक्ता अजय कुमार शर्मा से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि 14 वर्ष की लंबी लड़ाई में करीब 137 तारीखें पड़ी तब जाकर न्याय मिला यह पूछे जाने पर कि इतना लंबा समय कैसे लगा तो उन्होंने बताया कि कभी-कभी 1 वर्ष तक कोर्ट में जज ही नहीं बैठते थे। यह रुपए यदि मुझे समय पर मिल जाते तो मेरा कारोबार और आगे बढ़ता। उन्होंने यह भी बताया कि अभी भी 3 महीने बीत जाने के बावजूद बैंक ने रुपए नहीं दिए हैं जिसको लेकर मैंने अधिवक्ता के माध्यम से पुनः जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में इजरावाद दाखिल किया है। उनका मानना है कि उपभोक्ता आयोग से कोई भी नहीं बच सकता है जरूरत बस जागरूक रहने की है।
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