Mukhtar Ansari Death; ऐसा था साम्राज्य, 32 साल बाद हुई थी पहली सजा, वाराणसी की अदालत ने आजीवन कारावास की सुनाई सजा
Gangster Mukhtar Ansari मुख्तार के खिलाफ हत्या का यह पहला मामला था जिसमें उसको दोषी ठहराया गया था। 27 अक्टूबर 2023 को गाजीपुर में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के ही मामले में दस वर्ष कारावास की सजा मिली। वहीं 15 दिसंबर 2022 को गाजीपुर में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में दस वर्ष की सजा हुई थी। बांदा की जेल में मुख्तार बंद था।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। मुख्तार अंसारी को बीते 17 माह में सात मामलों में अदालत से सजा सुनाई जा चुकी थी। मुख्तार के खिलाफ लंबित 65 मुकदमों में से 20 में अदालत में सुनवाई चल रही थी। वाराणसी की अदालत ने अवधेश राय हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में भी उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यहीं की अदालत ने कोयला व्यवसायी नंद किशोरी रूंगटा के भाई महादेव रूंगटा को धमकी देने के मामले में भी सजा सुनाई है। गैंगस्टर के चार मामलों में उसे सजा हुई है।
सजा का सिलसिला 2022 से शुरू हुआ
मुख्तार अंसारी के खिलाफ सजा का सिलसिला 21 सिंतबर 2022 को शुरू हुआ था। लखनऊ के आलमबाग थाने में वर्ष 2003 में दर्ज जेलर को धमकाने के मुकदमे में मुख्तार को एडीजे कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया था। सरकार ने इसे 27 अप्रैल 2021 को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इसी मामले में उसे पहली बार सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 23 सितंबर, 2022 को लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में पांच वर्ष की सजा सुनाई गई।दस वर्ष की सजा
29 अप्रैल, 2023 को गाजीपुर में ही दर्ज गैंगस्टर एक्ट के एक अन्य मामले में दस वर्ष की सजा हुई। पांच जून 2023 को अदालत ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह फैसला 32 वर्षों बाद आया था।15 दिसंबर 2023 को वाराणसी के कोयला व्यवसायी और विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष रहे नंद किशोर रूंगटा के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकी देने के 27 साल पुराने मामले में साढ़े पाच साल की सजा मुख्तार अंसारी को मिली थी।
बीते 13 मार्च को विशेष न्यायाधीश (एमपी एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने फर्जीवाड़ा कर दोनाली बंदूक का लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में मुख्तार अंसारी को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। चार दिसंबर 1990 को मुख्तार के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
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