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सारनाथ में बुद्ध की धरोहर देख जमैका के पीएम अभिभूत, मां गंगा को किया प्रणाम

Varanasi News जमैका के प्रधानमंत्री एंड्रयू होलनेस ने वाराणसी में लगभग आठ घंटे की यात्रा के दौरान सारनाथ के प्राचीन बौद्ध मंदिर और धमेख स्तूप का दौरा किया। उन्होंने काशी की हस्तकला और संस्कृति को दीनदयाल हस्तकला संकुल में देखा और गंगा आरती में भाग लिया। राज्यपाल और मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। यह उनकी वाराणसी की पहली यात्रा थी।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Thu, 03 Oct 2024 02:12 AM (IST)
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दीनदयाल हस्तकला संकुल स्थित म्यूजियम का अवलोकन करते समय का की प्रधानमंत्री। पीआईबी
जागरण संवाददाता, वाराणसी। जमैका के प्रधानमंत्री एंड्रयू होलनेस ने बुधवार को लगभग आठ घंटे की काशी यात्रा के दौरान महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ में प्राचीन मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के अवशेष व धमेख स्तूप की परिक्रमा कर बुद्ध को नमन किया। बड़ा लालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल जाकर काशी की हस्तकला व संस्कृति से रूबरू हुए। 

प्रधानमंत्री होलनेस शाम को नमोघाट गए और अलकनंदा क्रूज पर सवार होकर काशी के घाटों का वैभव निहारा व दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती देखी। गाइड के मदद से काशी की कला, संस्कृति व परंपराओं को जाना। 

धमेख स्तूप कलाकृतियों की जानकारी ली

प्रधानमंत्री होलनेस विशेष विमान से सुबह 11 बजे वाराणसी पहुंचे। बाबतपुर एयरपोर्ट पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने उनकी अगवानी की। इसके बाद वह सारनाथ रवाना हुए। 

मार्ग में अयोध्या ग्रुप ऑफ अवधी के कलाकारों ने फरुवाही नृत्य कर पीएम का अभिनंदन किया। उन्होंने भी हाथ हिलाकर कलाकारों का अभिवादन स्वीकार किया। उन्होंने सारनाथ में सबसे पहले प्राचीन मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के अवशेष व धमेख स्तूप की परिक्रमा की। धमेख स्तूप कलाकृतियों की जानकारी ली। 

पुरातत्व संग्रहालय में राष्ट्रीय चिह्न शीर्ष सिंह की चमक देख अभिभूत नजर आए। गाइड रवि द्विवेदी ने धमेख स्तूप पर बुद्ध कालीन चित्रों के साथ ही राष्ट्रीय चिह्न पर हुई पालिश की जानकारी दी। यह भी बताया कि यह कला अब लुप्त हो चुकी है। उन्होंने अशोक की लाट, मूलगंध कुटी मंदिर अवशेष और धर्मराजिका स्तूप को भी देखा। 

इसके बाद, नदेसर स्थित होटल ताज लौट आए। विश्राम के बाद वह शाम को बड़ालालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल पहुंचे। बनारसी साड़ी समेत काशी से जुड़ी हस्तकलाओं से रूबरू हुए। 

जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कलाकारों ने उन्हें कलाकृतियां भेंट कीं। इसके बाद गंगा आरती देख रात नौ बजे बाबतपुर एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए प्रस्थान कर गए।

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