Jaunpur Election Result 2022: मल्हनी को ऐसे अपने पाले में कर ले गए मुलायम, देखते रह गए विपक्षी
जौनपुर का मल्हनी विधानसभा क्षेत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इसका संबंध मुलायम सिंह यादव से जुड़ता है। उन्हीं का जादू रहा कि बाहुबली धनंजय सिंह का पूरा खेल बिगड़ गया। मुलायम परिवार ने लकी यादव के साथ खड़ा रह कर दिखा दिया कि वह पारसनाथ को भूले नहीं हैं।
By Milan KumarEdited By: Updated: Thu, 10 Mar 2022 05:50 PM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। जौनपुर का मल्हनी विधानसभा क्षेत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इसका संबंध मुलायम सिंह यादव से जुड़ता है। उन्हीं का जादू रहा कि बाहुबली धनंजय सिंह का पूरा खेल बिगड़ गया। करीब 82 साल के हो चुके मुलायम सिंह यादव बीमार होने के बाद भी मल्हनी में चुनाव प्रचार करने के लिए पहुंच गए। उन्हें मालूम था कि जनता उन्हें नकारेगी नहीं। हुआ भी यही। सपा के लकी यादव जीत गए।वहीं धनंजय अपना राजनीतिक खाता नहीं खोल पाए।
लकी यादव पारसनाथ यादव के बेटे हैं। जून 2020 में ही पारसनाथ यादव का निधन हो गया था। ऐसे में मल्हनी विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इस बार सपा ने पारसनाथ के बेटे लकी यादव को मैदान में उतारा था और उसका ईनाम भी मिला। धनंजय सिंह को यह लग रहा था कि उनके रास्ते का बड़ा कांटा रहे पारसनाथ यादव हट गए हैं लेकिन मुलायम ने उस पर पानी फेर दिया। मुलायम परिवार ने लकी यादव के साथ खड़ा रह कर यह दिखा दिया कि वह पारसनाथ यादव को अब भी भूले नहीं हैं।
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चुनाव प्रचार के दौरान मुलायम ने यहां तक कह दिया था कि अत्याचारी को वोट देने से अच्छा है कि समाजवादी पार्टी को वोट दें। उनके इस संदेश को जनता ने बखूबी समझा और उनकी लाज रख ली। यह अलग बात है कि धनंजय और लकी यादव के बीच कांटे की टक्कर रही।मल्हनी सीट इसलिए भी चर्चा में रही कि 2012 के विधानसभा चुनाव में धनंजय ने पूर्व पत्नी डाक्टर जागृति सिंह को निर्दल लड़ाया था, हालांकि पारसनाथ यादव ने उन्हें शिकस्त दी थीं। धनंजय सिंह की मल्हनी में ये पहली हार थी। इसके बाद धनंजय सिंह का राजनीतिक ग्राफ गिरने लगा। वह 2014 में जौनपुर से लोकसभा का चुनाव भाजपा प्रत्याशी केपी सिंह से हार गए।
2017 में भी मुलायम ने खेल बिगाड़ दिया। अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच राजनीतिक वर्चस्व की जंग के बीच मुलायम नहीं माने। वे जौनपुर पहुंचे थे। सपा नेता पारसनाथ यादव के पक्ष में वोट मांगने के लिए मुलायम ने मल्हनी में ऐसा भावुक भाषण दिया जिससे जीत का गेंद उनके पाले में चला गया। निषाद पार्टी के टिकट पर लड़ रहे धनंजय सिंह 11 हज़ार वोटों से हार गए। इसके बाद पारसनाथ को अखिलेश कैबिनेट में मंत्री बनाया गया। पारसनाथ यादव कुल 2 बार जौनपुर के सांसद, 7 बार के विधायक और तीन बार कैबिनेट में मंत्री बने थे।
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