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Jayant Vishnu Narlikar : वाराणसी में अध्ययन के साथ आकार लेने लगा था ब्रह्मांड की उत्पत्ति का विचार

ब्रह्मांड की उत्पत्ति बिग बैंग यानी विशाल विस्फोट से हुई थी। इस सिद्धांत के जनक फ्रेड हायल के साथ इस शोध पर काम करने वाले जयंत विष्णु नार्लीकर का जन्म भले ही महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ पर विज्ञान की बारीकियों से बुना मस्तिष्क काशी की धरती पर ही।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Mon, 18 Jul 2022 09:12 PM (IST)
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डा. जयंत विष्णु नार्लीकर एक महान खगोल भौतिक विज्ञानी।
वाराणसी, जागरण संवाददाता : ब्रह्मांड की उत्पत्ति बिग बैंग यानी विशाल विस्फोट से हुई थी। इस सिद्धांत के जनक फ्रेड हायल के साथ इस शोध पर काम करने वाले जयंत विष्णु नार्लीकर का जन्म भले ही महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ, पर विज्ञान की बारीकियों से बुना मस्तिष्क काशी की धरती पर ही विकसित व पुष्पित पल्लवित हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बनारस के सेंट्रल हिंदू ब्वायज स्कूल में हुई तो गणित में स्नातक उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ही किया।

19 जुलाई 1938 को जन्मे जयंत के पिता विष्णु वासुदेव नार्लीकर बीएचयू में ही गणित विभाग के प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष रहे। गणित में स्नातकोत्तर व आगे की शिक्षा के लिए वह कैंब्रिज चले गए। वहीं से उन्होंने खगोल शास्त्र व खगोल भौतिकी में दक्षता प्राप्त की। ब्रह्मांड की उत्पत्ति में बिग बैंग के सिद्धांत के साथ ही उन्होंने हायल के साथ मिलकर ब्रह्मांड के स्थायी अवस्था का सिद्धांत भी प्रतिपादित किया। इसके साथ ही आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत और माक सिद्धांत को मिलाकर हायल-नार्लीकर का सिद्धांत दिया।

बचपन से लेकर 19 वर्ष गुजारे बनारस में

Jayant Vishnu Narlikar अनेक वैश्विक विज्ञानी संस्थानों से संबद्ध रहे नार्लीकर ने अपने जीवन के 19 वर्ष बनारस में गुजारे। उनका पूरा बचपन ही यहां बीता था। इसके बाद 15 वर्ष कैंब्रिज में अध्ययन व शोध के दौरान रहे। वहां से 1970 में स्वदेश वापस आने के बाद खगोल शास्त्र एवं खगोल भौतिकी अंतरविश्वविद्यालय केंद्र स्थापित करने की जिम्मेदारी संभाली। फिर तो 18 वर्ष मुंबई और अब लगभग दो दशक से पुणे में पूरे परिवार के साथ निवास कर रहे हैं।

विज्ञान के साथ साहित्य में भी प्राप्त किए कई पुरस्कार

डा. जयंत विष्णु नार्लीकर एक महान खगोल भौतिक विज्ञानी होते हुए भी साहित्य में बराबर की पकड़ रखते हैं। उन्होंने विज्ञान के अनेक कल्पित व अकल्पित विषयों पर दर्जन भर से अधिक कहानियों व उपन्यासों की रचना की है। साहित्य व विज्ञान में अनेक पुरस्कारों के अलावा सरकार ने उन्हें पद्म भूषण व पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया है।

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