ज्ञानवापी केस में दो अहम फैसले देने वाले रिटायर जज विश्वेश बोले- 'भावनाओं पर नहीं, साक्ष्य व कानून ही होते हैं फैसले का आधार'
Gyanvapi Case News ज्ञानवापी मामले में दो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय देने वाले जनपद न्यायाधीश अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। 3 फरवरी को एक साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्ट किया कि इस संबंध में एक न्यायाधीश के रूप में निर्णय पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों भारतीय कानूनों और विधि के आधार पर लिया गया है। विधिक फैसले भावनाओं के आधार पर नहीं होते।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। Gyanvapi News: ज्ञानवापी मामले में दो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय देने वाले जनपद न्यायाधीश अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। 3 फरवरी को एक साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्ट किया कि इस संबंध में एक न्यायाधीश के रूप में निर्णय पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों, भारतीय कानूनों और विधि के आधार पर लिया गया है। विधिक फैसले भावनाओं के आधार पर नहीं होते।
उन्होंने कहा कि न्यायालय भावनाओं के आधार पर कार्य नहीं करता, वह ठोस सबूतों और अभिलेखों के आधार पर कार्य करता है। इसीलिए जो भी फैसला आया है, वह ठोस सबूतों के आधार पर, पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर ही है। हम लोग कानून से बंधे हुए हैं, उससे अन्यथा जा ही नहीं सकते।
निष्पक्ष होकर फैसले देना है जज की भूमिका
दोनों पक्षों को विस्तार से सुनकर, अभिलेख में उपलब्ध साक्ष्य सामग्री के आधार पर, विधि के सुसंगत प्रावधानों के आधार पर फैसला दिया गया। अंतिम दिन होने के बाद भी जैसे अन्य मुकदमों में सुनवाई कर निर्णय देता रहा, वैसे ही इस मामले में भी विवेचक द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों के आधार पर निर्णय दिया गया। एक जज की भूमिका में निष्पक्ष होकर ही फैसला देना होता है।न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश ने ही पहले ज्ञानवापी परिसर के एएसआइ सर्वे का आदेश दिया था। अपनी सेवा के अंतिम दिन उन्होंने व्यासजी के तलगृह में व्यास परिवार को पूजा करने का अधिकार दिया। इसके बाद रात में प्रशासन ने तलगृह खोलकर वहां रखी प्रतिमाओं और स्थल की साफ-सफाई कर विधिवत पूजा आरंभ करा दिया। इसे लेकर नाराज मुस्लिम पक्ष कोर्ट पर भावनाओं के आधार पर फैसला देने का आरोप लगा रहा है।
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